आज कथक नृत्यांगना और गुरु के रूप में विदूषी शोभना नारायण का नाम प्रमुख है। कथक की नृत्य संरचनाओं को नए रूपों से अलंकृत करने, देश-विदेश की नृत्य शैलियों के साथ फ्यूजन में सार्थक प्रयोग करने में उन्होंने महती कार्य किया है। उनका सबसे कारगर और महत्वपूर्ण योगदान है युवा पीढी को भारतीय कला-संस्कृति से जोड़ना और परंपरागत समृद्ध नृत्य शैली के प्रति रुझान पैदा करना। इस समय उनकी निगरानी में अनेक शिष्य-शिष्याएं नृत्य सीख रहे हैं।
शोभना जी अपने होनहार शिष्यों की प्रतिभा को उजागर करने के लिए ‘रिद्म ऐंड ज्वॉय’ के नाम से वार्षिक नृत्य उत्सव आयोजित करती हैं। इस बार यह आयोजन त्रिवेणी कला संगम के सभागार में हुआ। मंगला चरण के रूप में कार्यक्रम का आरंभ नृत्यांगना कोमल बिसवल की नृत्य संरचना और लयताल में निबद्ध सरस्वती वंदना को किशोर छात्रों ने भक्ति भाव में चाव से प्रस्तुत किया| उसके उपरांत लयताल में पल्लवी लोहिनी द्वारा परंपरागत कथक पर आधारित नृत्य सरंचना में द्रुत लय पर ‘बच्चे तोड़े परन तिहाइयां’ कवित्त आदि को युवा छात्रों ने सही लीक पर खूबसूरती से पेश किए।

उभरती नृत्यांगना श्रान्या बिष्ट ने ताल धमार पर एकल सोलो नृत्यु में कई चलनों को शुद्धता से पेश करने में अपने कौशल का अच्छा परिचय दिया। नाचने में अंग संचालन, पैरों का काम और नाचने में लय की गति संतुलित और आकर्षक थी। कोमल बिसवल द्वारा नृत्य में संरचित कथक के बोल, विविध प्रकार के टुकडे, तिहाइयों और लयात्मक गति के नृत्य को उनके छात्रों ने शुद्धता और मोहकता से प्रस्तुत किया।
अगली प्रस्तुति में इस्ता भूषण ने एकल नृत्य में 15 मात्रा की ताल ने निबद्ध पंचम सवारी को सूक्षबूझ से पेश करने में खूबसूरत चलन दर्शाया। चांद पर गुरु शोभना नारायण की नृत्य संरचना को चांद के रूप और उसके सौन्दर्य को लेकर जो विधिक परिकल्पनाएं हैं, उसकी मनोरम झांकी इस युवा नृत्यांगना के नृत्य और अभिनय में सरलता से अभिव्यक्त हुई। बाल कृष्ण की माखन चोरी पर शोभना जी की नृत्य संरचना के आधार पर कोमल के निर्देशन में उनके नन्हे और युवा शिष्यों ने बड़े उत्साह, उमंग और चाव से प्रस्तुत किया।

पल्लवी लोहनी की नृत्य संरचना पर आधारित ध्रुपद गायन नृत्य की प्रस्तुति भी आनंददायक थी। कार्यक्रम को गरिमा प्रदान करने मे पखावज पर महावीर गंगानी, तबला पर हरि मोहन जी और मोहम्मद आदिल खां, गायन में दिनेश परिहार और वायलिन पर अजहर शकील खां ने आकर्षक संगत की।
