साल 2022 से पहले अंतरिक्ष में मानव भेजने की भारत की योजना में फ्रांस सहयोगी देश होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 अगस्त के स्वतंत्रता दिवस संबोधन में की गई घोषणा के बाद इसरो ने अपनी कार्ययोजना पेश की थी। इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए अब फ्रांस इसमें भारत का सहयोगी देश होगा और दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां मिलकर इस अभियान को पूरा करेंगी।
फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी सीएमईएस और भारतीय इसरो मिलकर भारत की महत्वाकांक्षी योजना पर काम करेंगे। फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया “स्पेस मेडीसिन, अंतरिक्ष यात्रियों की स्वास्थ्य मॉनीटरिंग, लाइफ सपोर्ट, रेडियशन प्रोटेक्शन, अंतरिक्ष में होने वाले मलबे से सुरक्षा और यात्रियों की निजी साफ-सफाई आदि से जुड़े मसलों पर हम मिलकर अंनुसंधान कर रहे हैं।"
दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा मिलकर काम करने की यह घोषणा बैंगलूरु में छठीं बैंगलूरु स्पेस एक्सपो में फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख द्वारा की गई।
अंतरिक्ष में मानव भेजने की इस योजना को ‘गगनयान’ नाम दिया गया है। 28 अगस्त को भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने इसकी रूप रेखा पेश की थी।
क्या-क्या होगा इस गगन यान में;
-भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष के. सिवन ने बताया था कि अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने के वाले प्रस्तावित ‘गगनयान' मिशन में तीन क्रू सदस्य होंगे जो पांच-सात दिनों तक अंतरिक्ष में रहेंगे।
-यह सात दिन तक पृथ्वी की सतह से 300-400 किलोमीटर की ऊंचाई पर चक्कर लगाएगा।
-पृथ्वी पर वापसी के वक्त क्रू गुजरात तट के पास अरब सागर या बंगाल की खाड़ी में उतर सकता है या जमीन पर भी उतर सकता है।
-इसे जीएसएलवी मैक-3 प्रक्षेपण यान की मदद से अंजाम दिया जाएगा।
-क्रू का चयन भारतीय वायुसेना और इसरो द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा। इसके बाद उन्हें दो-तीन साल तक प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस संबंध में इसरो अंतरिक्ष की यात्रा कर चुके पहले भारतीय राकेश शर्मा की भी सलाह लेगा। शर्मा ने अप्रैल 1984 में अंतरिक्ष की यात्रा की थी। वह सोयूज टी-11 में सवार होकर अंतरिक्ष में गए थे।
-भारत द्वारा अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने से छह महीने पहले इस मिशन को मूर्त रूप दिया जा सकता है।
अमेरिका, रूस और चीन के बाद इंसान को अंतरिक्ष में भेजने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा। मिशन पर 10 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे, जो दुनिया के किसी भी मानव मिशन से कम है।