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आईआरएनएसएस-1जी के प्रक्षेपण से पूरा हुआ देश का दिशासूचक तंत्र

भारत ने गुरुवार को आईआरएनएसएस-1जी उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया। इस के साथ ही भारत ने भी अमेरिका के जीपीएस की तर्ज पर क्षेत्रीय दिशासूचक प्रणाली का अपना ऐतिहासिक अभियान पूरा कर लिया।
आईआरएनएसएस-1जी के प्रक्षेपण से पूरा हुआ देश का दिशासूचक तंत्र

आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा केंद्र से आज प्रक्षेपित हुआ आईआरएनएसएस-1जी उपग्रह इस तंत्र का सातवां और अंतिम उपग्रह है। एक माह में संचालन शुरू होने के बाद भारतीय क्षेत्रीय दिशासूचक उपग्रह तंत्र, क्षेत्रीय एवं समुद्री दिशा संचालन (नेविगेशन), आपदा प्रबंधन, वाहन के मार्ग का पता लगाने, दिशाओं का पता लगाने में मदद करने, चालकों के लिए दृश्यात्मक एवं श्रव्यात्मक नेविगेशन की सुविधाएं उपलब्ध करवाएगा। इसरो के अधिकारियों के अनुसार, सातों उपग्रहों की कुल लागत 1420 करोड़ रूपए रही।  आईआरएनएसएस-।जी की अभियान अवधि 12 साल की है। यह एक माह में संचालित होगा। जिसके साथ ही आईआरएनएसएस का पूर्ण संचालन शुरू हो जाएगा।

इसरो का वर्कहाउस कहलाने वाले ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी33) ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉंच पैड से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट पर उड़ान भरी और आसमान को भेदता हुआ अपनी मंजिल पर पहुंच गया। यह पीएसएलवी का लगातार 34वां सफल अभियान था, जिसने इसपर निर्भरता की एक बार फिर से पुष्टि कर दी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि हालांकि आईआरएनएसएस चार उपग्रहों के साथ पहले से ही सक्रिय था, शेष तीन उपग्रह इसे और अधिक सटीक और दक्ष बनाने के लिए जरूरी थे। आईआरएनएसएस में सात उपग्रह हैं, जो अमेरिका के ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम की तर्ज पर दिशा सूचक प्रणाली में पहले से बेहतर सटीकता के साथ और लक्षित स्थिति के साथ सेवाएं देगा।

इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों की प्रशंसा की औऱ देश के लोगों को बधाई दी। पीएम ने टेलीविजन पर जारी संदेश में कहा, सबसे पहले मैं इसरो के सभी वैज्ञानिकों और पूरी टीम को शुभकामना देना चाहता हूं। मैं भारत के लोगों को भी बधाई देता हूं। इस सफल प्रक्षेपण के साथ हम हमारी प्रौद्योगिकी के बल पर खुद अपने रास्ते तय करेंगे। नई प्रौद्योगिकी हमारे लोगों, हमारे मछुआरों को लाभ पहुंचाएगी। यह वैज्ञानिकों की ओर से जनता को एक महत्वपूर्ण तोहफा है। उन्होंने कहा कि इससे न केवल भारत को सहयोग मिलेगा बल्कि दक्षेस के सहयोगी देशों को भी लाभ होगा। मोदी ने संदेश में कहा, यह प्रक्षेपण मेक इन इंडिया, मेड इन इंडिया और मेड फॉर इंडियन्स का उदाहरण है।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी समेत कई नेताओं ने भी दिशासूचक उपग्रह आईआरएनएसएस-।जी के सफल प्रक्षेपण पर इसरो के वैज्ञानिकों को आज बधाई दी। राष्ट्रपति ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लिखा, आईआरएनएसएस-।जी ले जाने वाले पीएसएलवी-सी33 के सफल प्रक्षेपण पर इसरो की टीम को बधाई। अंसारी ने अपने बधाई संदेश में कहा कि इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए त्रुटिहीन प्रक्षेपण ने अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा, हमारे देश के लिए यह और भी बड़ा मील का पत्थर है। इसरो ने हमें एक बार फिर गौरवांवित किया है। इस उपलब्धि के लिए सभी वैज्ञानिकों को बधाई।

 

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