ट्राई के सलाहकार अग्नेश्वर सेन ने कहा, गुजरात, केरल, इलाहाबाद, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालयों की ओर से यह कहा जा चुका है कि मोबाइल टावरों से निकलने वाले ईएमएफ विकिरण के कारण स्वास्थ्य पर खराब असर पड़ने का कोई ठोस सबूत नहीं है, इसलिए इनके द्वारा इंसानों को नुकसान पहुंचाए जाने की संभावना नहीं है।
मानव स्वास्थ्य पर ईएमएफ विकिरण के प्रभावों के मुद्दे पर सोमवार को कोलकाता में आयोजित एक परिचर्चा के दौरान विशेषज्ञों ने कहा कि देश में उत्सर्जन का स्तर गैर-आयनित विकिरण सुरक्षा पर बने अंतरराष्ट्रीय आयोग की सिफारिश वाले वैश्विक मानकों केे दसवें हिस्से के बराबर रखा गया है। इन मानकों को विश्व स्वास्थ्य संगठन से मान्यता प्राप्त है।
ट्राई के प्रधान सलाहकार सुरेश कुमार गुप्ता ने कहा, दूरसंचार विभाग द्वारा नवंबर 2013 में ईएमएफ जुर्माने का जो नियम तय किया गया था, उसके तहत यदि कोई दूरसंचार सेवा प्रदाता तय मानकों के पालन में विफल रहता है तो उसे प्रति टावर स्थल के हिसाब से 10 लाख रूपए का जुर्माना देना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि मोबाइल टावरों से होने वाले उत्सर्जनों के कारण मानव स्वास्थ्य पर खराब प्रभाव न पड़े...यह सुनिश्चित करने के लिए टाई और दूरसंचार विभाग ने कड़े उत्सर्जन नियम बनाए हैं।
दूरसंचार प्रवर्तन, संसाधन एवं निरीक्षण (टीईआरएम) सेल को हर साल कुल बेस स्टेशनों और छतों पर लगाए गए टावरों में से 10 फीसदी टावरों के विकिरणों स्तर की जाचं करना अनिवार्य है। टीईआरएम के अधिकारी सुप्रियो दत्ता ने कहा कि पश्चिम बंगाल सर्किल में सिलिगुड़ी प्रकाश नगर में एेसा उल्लंघन पाया गया था, जिसे ठीक करने के लिए टावर की ऊंचाई बढ़ा दी गई थी।
गुप्ता ने कहा कि ट्राई ने देश में लगभग एक अरब मोबाइल उपभोक्ताओं की लगातार बढ़ती संख्या को गुणवत्तापूर्ण सेवा उपलब्ध करवाने के लिए अधिग्रहणों के विलय और स्पेक्ट्रम को साझा करने की सिफारिश की है। सेन ने कहा कि देश में मोबाइल सेवाओं की गिरती गुणवता की एक वजह मोबाइल टावरों का पर्याप्त संख्या में न होना है।