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आप: केजरीवाल चले पंजाब?

विपासना ध्यान के लिए राज्य में पहुंचे आप मुखिया के लिए राज्यसभा जाने का रास्ता साफ किया गया, ताकि बड़ी...
आप: केजरीवाल चले पंजाब?

विपासना ध्यान के लिए राज्य में पहुंचे आप मुखिया के लिए राज्यसभा जाने का रास्ता साफ किया गया, ताकि बड़ी सियासत में अहमियत बनी रहे मगर पंजाब में भगवंत मान सरकार की चुनौतियां विकट

राजधानी दिल्ली हाथ से निकलने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने शायद आखिर गढ़ पंजाब का रुख कर लिया है। 16 मार्च को पंजाब में आप सरकार के तीन साल पूरे हो रहे हैं। लेकिन सरकार को लेकर कई तरह की आशंकाएं हवा में तैर रही हैं। इसलिए भी शायद केजरीवाल ने दिल्ली से दूरी बनाकर पंजाब में सक्रियता बढ़ा दी है। कहने को तो केजरीवाल पत्नी सुनीता के साथ पंजाब के होशियारपुर के विपासना ध्यान केंद्र में 7 से 17 मार्च तक पंजाब पुलिस के भारी सुरक्षा घेरे में ध्यान और योगासन मुद्रा में करने पहुंचे हैं। लेकिन दिल्ली चुनाव में हार के बाद उन्होंने पंजाब के रास्ते केंद्र और राज्य की सियासत में सक्रिय होने की रणनीति बनाई है।

पंजाब में सरकार बनने के पहले दिन से ही विपक्ष मुख्‍यमंत्री भगवंत मान को ‘डमी सीएम’ कहकर घेर रहा है, पर अभी तक पर्दे के पीछे रहे असली संचालक केजरीवाल अब खुलकर पंजाब की सियासत में सक्रिय होने की तैयारी में हैं। पंजाब से आप के राज्यसभा सांसद लुधियाना के उद्योगपति संजीव अरोड़ा को लुधियाना (पश्चिमी) विधानसभा सीट से उपचुनाव के लिए उम्मीदवार बनाकर केजरीवाल के राज्यसभा में जाने का रास्ता साफ कर लिया गया है। विधायक गुरप्रीत सिंह गोगी की अकास्मिक मौत के बाद खाली हुई लुधियाना (पश्चिमी) सीट पर उपचुनाव के लिए अभी अधिसूचना जारी नहीं हुई है मगर आप ने अरोड़ा का नाम तय कर दिया है। हालांकि आप के प्रवक्ता नील गर्ग का कहना है कि उपचुनाव के नतीजे के बाद तय होगा कि खाली हुई राज्यसभा की सीट के लिए कौन बेहतर उम्मीदवार होगा। फिलहाल पंजाब से राज्यसभा के सात सांसदों में संदीप पाठक, राघव चड्ढा, पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह, बलबीर सिंह सिंचेवाल और तीन कारोबारियों में अशोक मित्तल, विक्रमजीत साहनी और संजीव अरोड़ा हैं।

किसान संकटः चंडीगढ़ में किसान मोर्चे के लिए पुलिस बंदोबस्त

‌किसान संकटः चंडीगढ़ में किसान मोर्चे के लिए पुलिस बंदोबस्त

केजरीवाल के लिए पंजाब से राज्यसभा में एंट्री राष्ट्रीय राजनीति में उनकी उपस्थिति दर्ज कराने वाला कदम होगा। जानकारों का कहना है कि हरियाणा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों के हालिया विधानसभा चुनाव कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन के बाद केजरीवाल विपक्ष के नेता के रूप में खुद को स्थापित करने का सपना पाले हुए हैं। दिल्ली और पंजाब के बाद हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी प्रभाव बढ़ाने की उनकी कोशिशें जारी हैं।

मार्च 2022 के विधानसभा चुनावों में पंजाब के लोगों ने शिरोमणि अकाली दल, कांग्रेस और भाजपा जैसी रिवायती पार्टियों से हटकर बड़े बदलाव के लिए वोट दिया। लिहाजा, आप कुल 117 सीटों में से 92 पर अप्रत्याशित जीत के साथ पंजाब की सत्ता पर काबिज हो गई। हालांकि जिन छह गारंटियों के दम पर उसे जीत मिली थी, उन पर मुश्किल अमल से 2027 के विधानसभा चुनाव में जीत दोहराना आप के लिए कड़ी चुनौती है।

दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक, स्कूल ऑफ एमिनेंस, मुफ्त बिजली, सरकारी बसों में महिलाओं की मुफ्त यात्रा जैसे मॉडल की पंजाब में पुनरावृति के अलावा राज्य में 43,000 सरकारी नौकरियां देने का दावा करने वाली आप सरकार अपने पक्ष में माहौल नहीं बना पाई। 2024 के लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ आप पंजाब की 13 में से मात्र तीन सीटें  जीत पाई जबकि प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के हाथ सात सीटें लगी। खालिस्तान समर्थक अकाली दल (वारिस पंजाब दे) के प्रमुख अमृतपाल सिंह के खडूर साहिब से और मुक्तसर से उसके सहयोगी सर्वजीत सिंह खालसा निर्दलीय जीत गए। आप के राज में पंजाब में चरमपंथियों का फिर उदय राज्य की सियासत के लिए शुभ संकेत नहीं है।    

इसके अलावा, साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये के कर्ज तले दबी आप सरकार के लिए अगले दो साल में तमाम चुनावी वादे पूरे करना भी बड़ी चुनौती है। हालिया दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान महिलाओं को हर महीने 2100 रुपये भत्ता देन का चुनावी वादा करने वाली आप ने 2022 में पंजाब के विधानसभा चुनाव के दौरान भी महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये भता देने के शपथ पत्र भरवाए थे, जिन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान बढ़ाकर 1100 रुपये करने का वादा किया गया था। लेकिन राज्य की आधी आबादी को तीन साल से इस भत्ते का इंतजार है। अनुमान है कि इस घोषणा को लागू करने से सरकार पर सालाना करीब 3000 करोड़ रुपए का बोझ पड़ सकता है।

यही नहीं, भगवंत मान सरकार के लिए नशा, भ्रष्टाचार और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दे गले की फांस बने हुए हैं। हर महीने घरेलू उपभोक्ताओं को 300 यूनिट मुफ्त बिजली जैसी लोकलुभावन स्कीम राज्य की खस्ता माली हालात पर भारी पड़ रही है। 79.90 लाख घरेलू उपभोक्ताओं के मद में ही सालाना करीब 8,785 करोड़ रुपये का भार पड़ा है जबकि खेती के लिए मुफ्त बिजली पर सालाना 10,200 करोड़ रुपये का बोझ पहले से ही है। वित्त वर्ष 2024-25 में सरकार पर बिजली सब्सिडी का बोझ 22,000 करोड़ रुपये होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

मुख्यमंत्री मान के साथ किसान नेताओं की बैठक

मुख्यमंत्री मान के साथ किसान नेताओं की बैठक

वित्तीय संकट से उबरने के लिए पंजाब पावर कॉरपोरेशन की इंजीनियर्स एसोसिएशन ने सरकार को सुझाव दिया था कि आयकर अदा करने वालों, सरकारी कर्मचारियों को मुफ्त बिजली बंद करने के अलावा एक आवास में एक ही घरेलू बिजली कनेक्शन को 300 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाए। एसोसिएशन के अध्यक्ष बलदेव सिंह सरां ने आउटलुक को बताया कि जुलाई 2022 से घरेलू उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली स्कीम शुरू होने से पहले बहुत से लोगों ने एक आवास में एक से अधिक बिजली कनेक्शन लिए थे, ताकि अधिक से अधिक मुफ्त बिजली का लाभ लिया जा सके।

पंजाब के खस्ता माली हालात के चलते लोकलुभावन वादों को 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले पूरा करना कड़ी चुनौती है, क्योंकि कर्मचारियों को समय पर वेतन-पेंशन तक का संकट है। 2022 के विधानसभा चुनाव में रेत माफिया को मुद्दा बनाते हुए आप ने पंजाब में रेत खनन माफिया पर शिकंजा कसके रेत से सालाना 20,000 करोड़ रुपये राजस्व जुटाने का दावा किया था लेकिन बीते दो वित्त वर्षों में मात्र 527 करोड़ रुपये ही रेत खनन से जुटाए जा सके।

राज्य की माली हालत को पटरी पर लाने के लिए पंजाब शहरी विकास प्राधिकरण जमीनों की नीलामी कर रहा है। यहां तक कि चंडीगढ़ के पास मोहाली जैसे शहर में ग्रीन बेल्ट के नाम पर खाली रखे गए पब्लिक पार्कों की जमीन तक नीलाम की जा रही है। मार्च महीने में ही प्राधिकरण की तैयारी 23 शहरों की 2,000 करोड़ रुपये की संपतियों की ई-नीलामी करने की है।    

ऐसी तमाम चुनौतियों के बीच दिल्ली विधानसभा चुनावों में हार से झटका खाई आम आदमी पार्टी अब पंजाब को लेकर बेहद सक्रिय है। केजरीवाल दिल्ली चुनाव नतीजों के अगले दिन से ही मुख्यमंत्री भगवंत मान, सभी मंत्रियों, विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों से कई दौर की बैठक कर चुके हैं। उन्होंने अपना ध्यान पूरी तरह पंजाब में लगा दिया है।

केजरीवाल के निर्देश पर आप सरकार ने ड्रग्स और भ्रष्टाचार के खिलाफ ताबड़तोड़ अभियान चलाया है। 2022 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने सरकार बनने के एक महीने के भीतर पंजाब से नशे के खात्मे की गारंटी दी थी। आप की इस गारंटी का हश्र भी पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की चुनावी गारंटी जैसा हुआ। अमरिंदर ने भी 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सरकार के गठन से पहले पंजाब से चार हफ्ते में नशे के खात्मे के लिए एक रैली में गुटका साहिब की सौगंध खाई थी। 

पंजाब में नशे की समस्या बहुत गंभीर रही है। बीते दो दशक से सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा रहे नशे को आप ने भी विधानसभा चुनाव में भुनाया। 16 मार्च 2022 को शहीद भगत सिंह की जन्मस्थली खटकड़कलां में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही भगवंत मान ने वादा किया था कि एक महीने के भीतर पंजाब को नशामुक्त बना देंगे। लेकिन तीन साल बाद भी राज्य में ड्रग्स की समस्या गंभीर बनी हुई है।

आप की छह प्रमुख गारंटियों में एक बड़ी गारंटी नशे का खात्मा थी पर तीन साल गुजरने के बाद आप सरकार भी पंजाब को नशे के जाल से बाहर नहीं निकल पाई। 16 मार्च को सरकार के तीन साल पूरे होने से पहले केजरीवाल के सख्त निर्देश पर एक मार्च से “युद्ध नशे विरुद्ध” अभियान के लिए वित्त मंत्री हरपाल चीमा की अध्यक्षता में कैबिनेट सब कमेटी से लेकर राज्य के सभी 12,000 गांवों में प्रत्येक के लिए 15 सदस्यीय कमेटियां बनाई गई हैं। ड्रग्स तस्करों पर काबू पाने के लिए की अन्य राज्यों से लगती सीमाओं पर 84 से अधिक प्रवेश द्वार सील किए गए हैं। 250 पुलिस टीमें बनाई गई हैं, जिसकी अगुआई करने के लिए 108 एसपी और डीएसपी स्तर के अफसर लगाए गए हैं। पटियाला, अमृतसर और खन्ना में नशा तस्करों के अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने के लिए बुलडोजर चलाए गए। हालिया कार्रवाई में सरकार का दावा है कि 800 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के ड्रग्स जब्त किए हैं और 500 से अधिक एफआइआर दर्ज की गई हैं।

आप सरकार के “युद्ध नशे विरुद्ध” अभियान को सियासी ड्रामा बताते हुए नेता प्रतिपक्ष प्रताप बाजवा ने आउटलुक से कहा, “एक महीने में पंजाब को नशा मुक्त करने का चुनावी वादा करने वाली आप सरकार के अब तक के तीन साल के कार्यकाल में नशे की सप्लाई दोगुनी हुई है। आप विधायकों के संरक्षण तले ड्रग्स, रेत और शराब माफिया पनप रहा है। तीन साल तक सोई रहने वाली सरकार का कथित अभियान पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है।”

इधर, कट्टर ईमानदार सरकार होने के दावे पर आप को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी विपक्षी नेता घेरते हुए कह रहे हैं कि भ्रष्टाचार में भी कहीं कोई कमी नहीं आई, भ्रष्टाचार के आरोप में सरकार के गठन के दो महीने बाद ही मई 2022 में आम आदमी पार्टी की सरकार अपने ही स्वास्थ्य मंत्री डॉ. विजय सिंगला को गिरफ्तार करना पड़ा, भष्ट्राचार के मामले में राजस्व विभाग के मंत्री ब्रहम शंकर जिम्पा को भी मंत्री पद से हटाया गया। कई विधायक गिरफ्तार हुए। 

पंजाब भाजपा के प्रभारी तथा गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने पंजाब की आप सरकार को घेरते हुए कहा, “भ्रष्टाचार पर कड़े प्रहार के लिए जिस विजिलेंस ब्यूरो ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के आधा दर्जन से अधिक मंत्रियों को सलाखों के पीछे भेजा, उसी ब्यूरो के शिकंजे में आप के मंत्री और विधायक भी फंसे हैं।”

कट्टर ईमानदार सरकार की धूमिल छवि सुधारने के लिए भगवंत सरकार ने हाल ही में विजिलेंस ब्यूरो प्रमुख वरिंदर शर्मा को हटाकर नागेश्वर राव को ब्यूरो प्रमुख बनाया गया है। राव के पदभार संभालने के दो दिन के भीतर ही 52 भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को नौकरी से निकाला गया, जिसमें केवल कांस्टेबल और इंस्पेक्टर शामिल हैं।

भ्रष्टाचार के मामले में विपक्षी दलों के निशाने पर आप सरकार का दावा है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया गया है। बीते एक साल में 250 से अधिक सरकारी अधिकारियों को भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है और कई अन्य के खिलाफ जांच जारी है। मुख्यमंत्री भगवंत मान कई बार कह चुके हैं, “सरकार भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी। बीते एक हफ्ते में सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा कदम उठाते हुए 52 पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर दिया। यह कदम सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाते हुए संदेश देता है कि अगर कोई भी अधिकारी या कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्त पाया गया, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।”

पिछले पांच साल से किसानों के धरने-प्रदशर्नों से परेशान प्रदेश के कारोबारियों की नाराजगी दूर करने के लिए अब मुख्यमंत्री मान के सुर बदले हुए हैं, जो अभी तक खुलकर किसानों के समर्थन में खड़े थे। किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल के खन्नारी बॉर्डर पर 100 दिन से भी अधिक समय से आमरण अनशन के चलते 4 मार्च को किसान नेताओं के साथ बेनतीजा बैठक के बाद मान ने कहा, “किसानों के मसले केंद्र से संबंधित हैं। केंद्र से बातचीत के लिए पंजाब सरकार ने मध्यस्थता की पहल की है। किसान इसका पूरा ध्यान रखें कि राज्य की जनता धरने-प्रदर्शनों से परेशान न हो।” मान के बदले सुर पर किसान संगठनों के 5 मार्च को चंडीगढ़ कूच से पहले ही पंजाब पुलिस ने साथ लगते मोहाली की सीमा पर जोगिंदर सिंह उगरहां समेत तमाम बड़े किसान नेताओं को गिरफ्तार किया।

किसानों के लंबे धरने-प्रदर्शनों को कानून-व्यवस्था से जोड़ते हुए आल इंडिया स्माल स्केल इंडस्ट्रीज फेडरेशन के अध्यक्ष बदीश जिंदल ने आउटलुक से कहा, “पंजाब के बिगड़े हालात के मद्देनजर यहां निवेश के लिए कोई आने को तैयार नहीं है। लुधियाना के कई बड़े औद्योगिक घरानों ने कारोबार विस्तार के लिए मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात का रुख किया है।”

पंजाब में 2022 से 2024 के बीच अापराधिक मामलों में 15 प्रतिशत की बढोतरी हुई है जिसे निंयत्रित करना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। बेरोजगारी दर भी 8 फीसदी से अधिक बने होने से युवा वर्ग में अंसतोष बढ़ रहा है। सरकार ने रोजगार मेले लगाने और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने जैसी योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन अभी तक इसका बड़ा असर नहीं दिखा है। केंद्र से एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए आंदोलनरत किसानों का संकट भी एक प्रमुख चुनौती बना हुआ है।

राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि दिल्ली के बाद पंजाब के रास्ते केजरीवाल की केंद्र और राज्य की राजनीति में सक्रियता के साथ पंजाब की चुनौतियों से निपटने की जिम्मेदारी भी केजरीवाल की है। देखना दिलचस्प होगा कि दो साल बाद क्या पंजाब में आम आदमी पार्टी की सत्ता बरकरार रखने में केजरीवाल कामयाब हो पाते हैं?

 प्रताप सिंह बाजवा

“आप सरकार के तीन साल में नशे की सप्लाई दोगुनी हुई है। आप विधायकों के संरक्षण तले ड्रग्स, रेत और शराब माफिया पनप रहा है”

प्रताप सिंह बाजवा, प्रतिपक्ष के नेता, कांग्रेस

 भगवंत मान

“बीते एक हफ्ते में 52 पुलिसवालों को बर्खास्त किया गया। कोई भी भ्रष्टाचार में लिप्त पाया गया, तो बख्शा नहीं जाएगा”

भगवंत मान, मुख्यमंत्री, पंजाब

 विजय रुपानी

 “विजिलेंस ब्यूरो ने पूर्व कांग्रेस सरकार के आधा दर्जन मंत्रियों को सलाखों के पीछे भेजा, अब उसी ब्यूरो के शिकंजे में आप के मंत्री, विधायक भी फंसे हैं”

विजय रूपानी, पंजाब भाजपा प्रभारी

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