जम्मू में अपनी नई जिम्मेदारी संभालने के पखवाड़े भर के भीतर ही एक आइपीएस अधिकारी खूब तारीफ बटोर रहे हैं। ये हैं बसंत रथ। उन्होंने नौ फरवरी को जम्मू में पुलिस महानिरीक्षक (यातायात) का पद संभाला था। इसके बाद से यातायात को व्यवस्थित करने के नए तरीकों को लेकर 2000 बैच के इस आइपीएस अधिकारी की खूब तारीफ हो रही है।
जम्मू के व्यस्त चौराहों पर यातायात को संभालने वाले रथ के वीडियो और फोटो इंटरनेट पर खूब चल रहे हैं। कई लोग उनकी तुलना सिंघम तथा दबंग से कर रहे हैं। पर रथ की इन तमगों में खास दिलचस्पी नहीं है। वह कहते हैं, ‘‘मीडिया के साथियों सिंघम और दबंग की बात अपने तक रखिए। मैं बसंत हूं, इसे मेरी मां ने मेरे लिए चुना है।’’
तकनीक पसंद रथ सड़कों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। लोगों को यातायात संबंधी जानकारी देने और यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों को चेतावनी देने के लिए भी। यातायात व्यवस्था को पटरी पर लाना उनके लिए एक चुनौती भी है क्योंकि बीते तीन वर्षों में, 31 अक्तूबर 2017 तक राज्य में सड़क हादसों में 2,666 लोग जान गंवा चुके थे और 22,021 लोग घायल हुए थे।
सोमवार को उन्होंने रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट के बगैर चल रहे पुलिस के एक वाहन पर जुर्माना लगाया और उसे जब्त किया। इस कार्रवाई के बाद जम्मू शहर के बिक्रम चौक में उनके समर्थन में नारे लगाए गए। फेसबुक पर एक यूजर ने लिखा, “अब न तो फॉग चल रहा और न ही जिओ, अभी तो बस बसंत रथ का खौफ चल रहा है।”
हालांकि सोशल मीडिया पर खुलकर विचार व्यक्त करने के लिए रथ की आलोचना भी हो रही है। कांग्रेस नेता उस्मान मजीद ने एक पोस्ट के बाद उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की थी। अधिवक्ता नितिन बख्शी ने तो मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से उनके खिलाफ शिकायत की है। बख्शी का कहना है कि रथ सोशल नेटवर्किंग साइटों का इस्तेमाल उन लोगों का शोषण करने के लिए करते हैं जिनके साथ वह खराब व्यवहार कर चुके होते हैं।