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दिल्ली में एशियाई कवियों का समागम, रचनाओं से शांति और सहिष्णुता की जगाई मशाल

दक्षिण कोरिया, भारत, इजरायल, अफगानिस्तान और वियतनाम के पांच प्रतिष्ठित कवियों ने शुक्रवार को दिल्ली...
दिल्ली में एशियाई कवियों का समागम, रचनाओं से शांति और सहिष्णुता की जगाई मशाल

दक्षिण कोरिया, भारत, इजरायल, अफगानिस्तान और वियतनाम के पांच प्रतिष्ठित कवियों ने शुक्रवार को दिल्ली में भारत के पहले एशियाई द्विवार्षिकी कविता सत्र का उद्घाटन किया। रजा फाउंडेशन ने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (आइआइसी) के साथ मिल कर कविताओं का यह तीन दिनों का कार्यक्रम ‘वाक : द रज़ा बायएन्यूअल ऑफ एशियन पोएट्री (रजा फाउंडेशन का एशियाई कविता का द्विवार्षिक उत्सव)’ आयोजित किया है। 20 अंतरराष्ट्रीय और 6 भारतीय कवि इसमें शिरकत कर रहे हैं। भारत में यह पहला ऐसा कार्यक्रम है जिसमें एशियाई महाद्वीप के 18 देशों की काव्यात्मक आवाजें एक जगह इकट्ठा हुई हैं।

रजा फाउंडेशन कलाकार सैयद हैदर रज़ा द्वारा स्थापित किया गया था। फिलहाल हिंदी के प्रख्यात कवि अशोक वाजपेयी इसके प्रबंध न्यासी हैं। उद्घाटन सत्र के दौरान, वाजपेयी ने आइआइसी के निदेशक के साथ ‘वाक- अ कलेक्शन ऑफ एशियन पोएट्री’ नामक पुस्तिका का विमोचन किया, जिसमें कवियों की हस्तलिखित कविताएं प्रकाशित है। पहले दिन अफगानिस्तान से आए मोहम्मद अफसर रहबीन, भारत की कुट्टी रेवती, इजरायल से अमीर ऑर, वियतनाम से ग्यूयेन होएंग बाओ वियेत और दक्षिण कोरिया के को-उन जैसे प्रसिद्ध कवियों ने श्रोताओं को निरंतर संघर्ष की याद दिलाते हुए शांति और सहिष्णुता से ओत-प्रोत रचनाएं सुनाई। सीधे दिल में उतर गई इन कविताओं के माध्यम से श्रोताओं ने अहिंसा का पाठ भी समझा।

अफगानिस्तान के कवि, मोहम्मद अफसर रहबीन ने भारतीय मंच से अपने देश की कुछ कड़वी सच्चाइयों से रूबरू कराया। उन्होंने कहा, वह लोगों के साथ हुई हिंसा के बारे में बात करते हैं और शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। उन्होंने कहा, “अब, मैं अपने बच्चों के लिए खूनी गाने गा रहा हूं, वे टुकड़े-टुकड़े कर रहे हैं… ओह! वे शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं; मुझे लोकतंत्र चाहिए, भले ही खराब लेकिन मुझे और हत्या नहीं करनी चाहिए; मैं अपने पड़ोसी की धोखाधड़ी से पीड़ित नहीं होना चाहता।’’

शनिवार को आयोजन के दूसरे दिन अर्मेनिया, चीन, सिंगापुर, म्यांमार, बांग्लादेश, जापान, ईरान, फलस्तीन के नामचीन कवियों की रचना से श्रोता रूबरू हुए।

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