पंजाब, राजस्थान के बाद अब बिहार कांग्रेस में कलह शुरू हो गई है। बिहार में बीते विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन करने के बाद अब बिहार कांग्रेस नए प्रदेशाध्यक्ष की खोज में है। हिन्दुस्तान की खबर के मुताबिक इसके लिए ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास द्वारा विधायक और दलित नेता राकेश कुमार राम का नाम प्रस्तावित किया जा रहा है, लेकिन इस प्रस्ताव को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। बिहार के कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने नए पीसीसी प्रमुख के लिए मदन मोहन झा की जगह दलित नेता राजेश कुमार राम के प्रस्ताव को लेकर विरोध किया है। वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि नए प्रमुख का नाम ऊंची जाति से होना चाहिए।
बिहार के पीसीसी प्रमुख के नाम को लेकर यह विवाद पंजाब और राजस्थान कलह से भी ज्यादा बड़ा हो सकता है। ऐसे में पार्टी के अंदर की संबंध खराब होने की भी आशंका बनी हुई है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस अपनी सूझबूझ से नाराज नेताओं को मनाने के लिए अलग-अलग योजनाओं पर विचार कर रही है।
गौरतलब है कि नीतीश कुमार की जदयू पहले से ही कांग्रेस के नाराज विधायकों पर पैनी नजर बनाए रखी है। जिसके चलते कांग्रेस को एक-एक कदम फूंककर रखना पड़ रहा है। विरोध करने वाले नेताओं के साथ शांति वार्ता की लगातार कोशिश की जा रही है, जिन्होंने दास के प्रस्ताव के खिलाफ एआईसीसी महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल से भी शिकायत की है।
बता दें कि कांग्रेस विधायक राकेश कुमार राम के काफी समर्थक हैं, लेकिन राम को लेकर प्रस्ताव का विरोध करने वालों को दो आपत्तियां हैं। पहली दास एक पूर्व समाजवादी हैं, जो कुछ साल पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए थे। वह कांग्रेस को बाहरी लोगों के जैसे ही जानते हैं। और दूसरी यह कि बिहार कांग्रेस के पास ऊंची जाति के आधार पर कुछ ही विभाग बचे हैं, जो इस तरह खत्म हो जाएंगे। ऐसे में संदेह है कि ओबीसी, दलितों, मुसलमानों के प्रमुख वर्गो ने पहली ही बिहार कांग्रेस छोड़ दिया था, इसलिए पिछले समुदाय से पीसीसी प्रमुख चुनन कर प्रयोग करना बेकार है। वहीं पिछले साल कांग्रेस की चुनावी हार के बाद तत्कालीन पीसीसी प्रमुख झा का इस्तीफा अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है।