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वसुंधरा राजे के करीबी का आरोप, अब भाजपा में दीनदयाल का सिद्धांत नहीं, सिर्फ जीत का फार्मूला चलता है

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सबसे करीबी लोगों में शुमार रहे पूर्व मंत्री यूनुस खान...
वसुंधरा राजे के करीबी का आरोप, अब भाजपा में दीनदयाल का सिद्धांत नहीं, सिर्फ जीत का फार्मूला चलता है

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सबसे करीबी लोगों में शुमार रहे पूर्व मंत्री यूनुस खान ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धांतों से हटकर सिर्फ चुनावी जीत के फार्मूले को तवज्जो देने का आरोप लगाया। यूनुस खान ने साथ ही कहा कि उनकी इस पार्टी के साथ कभी कोई रिश्तेदारी नहीं थी और वह केवल इसकी विचारधारा के चलते इसके साथ जुड़े हुए थे।

खान भारतीय जनता पार्टी से टिकट कटने के बाद नागौर जिले की डीडवाना विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा के टिकट पर वह 2003 और 2013 में इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में, यूनुस खान को टोंक से कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट के खिलाफ मैदान में उतारा गया था लेकिन वह चुनाव हार गए। पायलट को 109,040 और खान को 54,861 वोट मिले थे।

वसुंधरा राजे सरकार में लोक निर्माण और परिवहन मंत्री रहे खान को भाजपा से केवल इतनी शिकायत है कि टिकट काटे जाने के समय उनसे कोई बातचीत नहीं की गई। राजस्थान में भाजपा का एक प्रमुख मुस्लिम चेहरा रहे खान ने ‘पीटीआई’ से बातचीत में कहा, "मुझे सिर्फ इतनी शिकायत है कि अगर मुझे बुलाकर बात करते तो मैं आज भारतीय जनता पार्टी के साथ काम कर रहा होता। लेकिन उन्होंने यह अवसर भी खो दिया।"

डीडवाना विधानसभा क्षेत्र में पूरी ताकत से चुनाव प्रचार में जुटे यूनुस खान मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के प्रयास में है। कांग्रेस ने इस सीट से अपने वर्तमान विधायक चेतन डूडी को टिकट दिया है तो भाजपा ने जितेंद्र सिंह जोधा को उम्मीदवार बनाया है। खान के मुताबिक, वह टिकट कटने से निराश नहीं है क्योंकि डीडवाना की जनता ने उन्हें अपनी ओर से टिकट दे दिया है।

उन्होंने कहा, "मुझे जिस तरह का जन समर्थन डीडवाना में मिल रहा है, इससे पहले कभी नहीं मिला था।" खान का कहना था, "भारतीय जनता पार्टी ने पहले इस सीट से मुझे चार बार प्रत्याशी बनाया था। इस बार टिकट काट दिया और इस बारे में अखबार में छप गया, लेकिन इसके तीन दिन बाद ही डीडवाना की जनता ने मुझे टिकट दे दिया। मैं बहुत खुश हूं कि डीडवाना की जनता मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाकर चुनाव लड़ रही है।" उन्होंने दावा किया कि पहले की भाजपा और आज की भाजपा में बहुत फर्क है।

खान का कहना था, "भाजपा पहले पंडित दीनदयाल के सिद्धांतों पर चलती थी, अब सिर्फ चुनाव जीतने के फार्मूले पर अमल कर रही है। अब कोई कौन सी विचारधारा से आता है, कौन सी पार्टी से आता है, यह मायने नहीं रखता।" यह पूछे जाने पर कि क्या सिर्फ मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने की वजह से उनका टिकट कटा, तो उन्होंने कहा, "मैं जाति धर्म की बात नहीं करता। प्रजातंत्र में जरूरी है कि आप जनसेवक बनकर सेवा करिए। मैं तो यहां जनसेवक के रूप में सभी जाति और धर्म का प्रत्याशी हूं।" डीडवाना में मुसलमानों, जाटों और राजपूतों के बीच अच्छा प्रभाव रखने वाले खान ने कहा कि यदि वह चुनाव जीतते हैं तो डीडवाना की जनता से पूछ कर अपने अगले कदम के बारे में फैसला करेंगे।

भाजपा ने इस बार राज्य की 200 विधानसभा सीटों में से एक भी सीट पर किसी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है । राजस्थान की सभी 200 विधानसभा सीटों के लिए आगामी 25 नवंबर को मतदान होगा और मतगणना तीन दिसंबर को होगी।


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