पप्पू यादव को राष्ट्रीय जनता दल से निष्कासित किया जा चुका है। पप्पू ने नए राजनीतिक दल का गठन कर लिया और बिहार की सियासत में नई भूमिका में आने को तैयार हो गए लेकिन रंजीत रंजन कांग्रेस से जुड़ी हुई हैं। लोकसभा में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का जब इस्तीफा कांग्रेसी सांसद मांग रहे थे उसमें भी रंजीत रंजन काफी सक्रिय दिखी। इसे देखते हुए सुगबुगाहटों का दौर शुरू हो गया कि पत्नी तो कांग्रेस में सक्रिय हैं वहीं पप्पू यादव नए सियासी दल के जरिये राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा बनने को बेकरार दिख रहे हैं।
इससे राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं के बीच असमंजस बना हुआ है कि आखिर पप्पू की मंशा क्या है। राजद और कांग्रेस बिहार में मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। राजद प्रमुख लालू यादव के खिलाफ पप्पू मुहिम चलाए हुए हैं। ऐसे में रंजीत रंजन क्या लालू का विरोध करेंगी या फिर पप्पू के समर्थन में चुप रहेंगी। दूसरा असमंजस यह है कि कहीं चुनाव से पहले पप्पू यादव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के साथ मिलकर कोई नया मोर्चा न बना लें और कांग्रेस को इसका हिस्सा बना लिया जाए। कई ऐसी सियासी चर्चाएं चल रही हैं। पप्पू फिलहाल यूपीए और एनडीए दोनों गठबंधनों के संपर्क में हैं। हालांकि इस बारे में आउटलुक के पूछने पर कोई ठोस जवाब नहीं देते हैं लेकिन इतना जरूर कहते हैं जो उनकी विचारधारा से सहमत हैं उनके साथ वो जा सकते हैं। रंजीत रंजन के कांग्रेस में सक्रिय रहने के सवाल पर पप्पू कहते हैं कि यह उनका निजी मामला है। रंजीत कांग्रेस से सांसद हैं और पार्टी में सक्रिय हैं यह अच्छी बात है।
बहरहाल बिहार की सियासत में पप्पू यादव का अगला दांव क्या होगा इसको लेकर राजद और कांग्रेस के अलावा भाजपा भी असमंजस में है। क्योंकि भाजपा के साथ पप्पू भले ही न खड़े हों लेकिन यूपीए में अगर गए तो भाजपा को नुकसान हो सकता है। इसलिए भाजपा नेता भी चाहते हैं पप्पू अपनी स्थिति साफ करें। लेकिन पप्पू अभी पूरी तरह से किसी के साथ नहीं खड़े हैं। यही सियासी दलों के असमंजस का कारण बनता जा रहा है।