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शाह की राह में चुनौतियां ही चुनौतियां

दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बने अमित शाह का यह कार्यकाल कड़ी चुनौती वाला माना जा रहा है। क्योंकि कई राज्यों में जहां विधानसभा चुनाव होने हैं वहीं अगले लोकसभा का चुनाव भी शाह की ही अध्यक्षता में लड़ा जाएगा।
शाह की राह में चुनौतियां ही चुनौतियां


रविवार को अध्यक्ष चुने जाने के समय पार्टी के कई दिग्गजों की मौजूदगी से यह संदेश देने की कोशिश की गई कि पार्टी एकजुट हैं वहीं वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी नहीं पहुंचे। माना जा रहा है कि पार्टी के इन वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी बनी रहेगी। इस साल असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, पुददुचेरी में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं वहीं उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इन राज्यों में अभी पंजाब में गठबंधन की सरकार को छोड़ दे तो किसी भी राज्य में पार्टी की सरकार नहीं है।
बिहार और दिल्ली में विधानसभा चुनाव में हार के बाद से शाह की रणनीति पर सवाल उठने लगे थे और कहा जाने लगा था कि शाह के हाथ से कमान छिनेगी। इसलिए कई नाम पर चर्चा चल रही थी। खबरें यहां तक आ रही थी कि संघ नहीं चाहता है कि शाह को दूसरी बार कमान मिले। पार्टी के अंदर-अंदर विरोध के स्वर भी गूंज रहे थे। लेकिन जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाह के प्रति समर्थन जाहिर किया उससे माना जाने लगा कि दूसरी बार शाह अध्यक्ष बने रहेंगे। शाह के अध्यक्ष बनने के तुरंत बाद मोदी ने ट्वीट करके बधाई भी दी। 

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