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लोकसभा में सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण का बिल पारित, अब मोदी की राज्यसभा में परीक्षा

आर्थिक आधार पर सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण का संविधान...
लोकसभा में सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण का बिल पारित, अब मोदी की राज्यसभा में परीक्षा

आर्थिक आधार पर सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण का संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित हो गया है। बिल के पक्ष में 323 मत पड़े जबकि विरोध में 3 मत पड़े। वहीं एआईडीएमके पार्टी ने बिल के विरोध में लोकसभा से वॉक आउट किया है। यह 124 वां संविधान संशोधन बिल था। इस बिल के जरिए सामान्य वर्ग के तहत आने वाले सभी धर्मों के लोगों को आर्थिक आधार पर आरक्षण मिलेगा। अब यह बिल बुधवार को राज्यसभा में पेश होगा। वहां पर भी सरकार को दो तिहाई बहुमत से बिल को पारित कराना होगा। अब देखना यह होगा कि मोदी सरकार राज्यसभा में जादुई नंबर को कैसे मैनेज करती है। हालांकि बिल का कांग्रेस, तेलुगुदेशम पार्टी, बीजू जनता दल, जनता दल यूनाइटेड, आप पार्टी आदि का समर्थन प्राप्त है। लोकसभा में बिल पारित होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक पल है।

5 घंटे हुई बहस

लोकसभा में मंगलवार को केंद्रीय मंत्री थारवचंद गहलोत ने संविधान संशोधन बिल पेश किया। जिस पर पांच घंटे की चर्चा के बाद लोकसभा ने पारित कर दिया। आइए जानते हैं कि बिल पर बहस के दौरान लोकसभा में किसने क्या कहा...

50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण संभवजेटली

वित्त मंत्री जेटली ने लोकसभा में कांग्रेस का 2014 का घोषणापत्र पढ़ा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 2014 में अगड़ी जाति के गरीब समाज को आरक्षण देने का वादा किया था लेकिन पूरा नहीं किया। जेटली ने कहा कि संसद में पास होकर 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण संभव है। 50 फीसदी आरक्षण जातिगत है। 50 फीसदी का आरक्षण सामाजिक तौर पर पिछड़े समाज के लिए है। सामाजिक भेदभाव कम करने के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया था।

उन्होंने कहा कि आरक्षण पर जुमले की शुरुआत विपक्ष ने की थी। इस बिल से सभी वर्गों को समानता का अधिकार मिलेगा। इस बिल को विधानसभाओं से पास कराने की जरूरत नहीं है। अनुच्छेद 368 के पार्ट तीन में इसकी व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि जाति बदलना संभव नहीं है। अरुण जेटली ने ये भी कहा कि तरक्की के बावजूद आप जाति को नहीं बदल सकते हैं।

जेटली ने कहा कि सभी दलों मे अनारक्षित वर्ग के लिए आरक्षण की घोषणा की थी। सवर्ण आरक्षण पर अब तक सही प्रयास नहीं हुए थे। पिछली सरकारों ने सही कोशिशें नहीं की थी।

किसी के साथ भेदभाव नहींथावरचंद गहलोत   

सामाजिक कल्याण मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि इस विषय पर ऐतिहासिक कदम उठाने की जरूरत थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण के साथ भेदभाव नहीं किया जा रहा है।

थावर चंद गहलोत ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि मौजूदा आरक्षण में बिना छेड़छाड़ के प्रावधान किया गया है। गरीब सामान्य वर्ग को मुख्य धारा में जोड़ने के लिए ये कदम उठाना जरूरी था। उन्होंने कहा कि इस बिल से ईसाई, मुस्लिम सभी को लाभ मिलेगा। निजी संस्थाओें में भी आरक्षण का प्रस्ताव है।

युवाओं को छला जा रहा हैटीएमसी

टीएमसी के सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा कि कोटा बिल की तरह महिला आरक्षण बिल को ये सरकार प्राथमिकता के साथ क्यों नहीं ला रही है। यह बिल नौकरियों से संबंधित नहीं है, इस बिल के जरिए युवाओं को छला जा रहा है।

बिल से पार्टी को ऐतराज नहींकांग्रेस के वी थामस     

कांग्रेस सांसद के वी थामस ने कहा कि इस बिल से पार्टी को ऐतराज नहीं है। लेकिन इसे राजनीतिक मकसद के साथ जल्द लाया गया।

हार के बाद आरक्षण की याद आईउमर अब्दुल्ला

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में हार के बाद ही उन्हें (भाजपा) 4.5 साल बाद आरक्षण देने की याद आई। वास्तव में उनका आरक्षण देने का कोई इरादा नहीं है, अगर वह संसद में पारित नहीं होते हैं तो वे कहेंगे, 'हमने कोशिश की , लेकिन संसद ने इसे पारित नहीं किया'

बिल की टाइमिंग पर सवाल: दीपेंद्र हुड्डा

कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि हम नीति के स्तर पर बिल का समर्थन कर रहे हैं लेकिन सरकार की नीयत पर सवाल है। उन्होंने कहा कि इतना अहम बिल सरकार अंतिम सत्र के अंतिम दिन क्यों लेकर आ रही है क्योंकि इस सरकार में किसी को भी इस बिल का फायदा मिलने वाला नहीं है। हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार सामान्य वर्ग को आरक्षण देने का काम पहले ही कर चुकी है और यह देश में पहली बार नहीं हो रहा है, तब बीजेपी के लोग इसका विरोध कर रहे थे।

सरकारी स्कूलों में पढ़ने वालों को मिली वरीयता: उपेंद्र कुशवाहा

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आरक्षण से नौकरी नहीं मिलती है जैसे ही यह बात समझ आएगी तो आरक्षण पाने वाले सामान्य वर्ग के लोग भी सरकार के खिलाफ हो जाएंगे। कुशवाहा ने कहा कि आरक्षण आर्थिक समृद्धि का उपाय नहीं है, सरकार को सरकारी विद्यालयों में पढ़े बच्चों को आरक्षण में प्राथमिकता देने चाहिए, इससे शिक्षा व्यवस्था की बेहाल हालत सुधर सकती है। साथ ही उन्होंने कहा कि प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण का लाभ मिले क्योंकि सरकारी क्षेत्र में तो नौकरियां मिल नहीं रही हैं। कुशवाहा ने कहा कि सरकार सत्र को बढ़ाकर न्यायिक नियुक्तियों के लिए भी बिल लेकर आए।

यह भारतीय जुमला पार्टी का चुनावी स्टंट: भगवंत मान

आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान ने कहा कि अगर बीजेपी वालों के दिल में गरीबों का इतना ख्याल होता तो यह बिल पहले ही आ जाता। यह भारतीय जुमला पार्टी का चुनावी स्टंट है, प्रधानमंत्री मोदी चुनावी रैलियों में इस बिल का क्रेडिट लेते दिखेंगे। मान ने कहा कि यह लोग पिछड़ों का आरक्षण भी खत्म करने के बारे में सोच रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बिल राज्यसभा में तो पास होगा नहीं इसे मुद्दा बनाने के लिए ही लाया गया है।

आबादी के हिसाब से मिले आरक्षण: धर्मेंद्र यादव

समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि हम आरक्षण बिल का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से बिल लाया गया है वो गलत है। यादव ने कहा कि हम पहले ही जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने की मांग कर चुके हैं और जैसे आंकड़े आए उसी के अनुपात में 100 फीसदी आरक्षण दे दिया जाए। सपा सांसद ने कहा कि जिनके लिए आरक्षण लाया गया है वो भी सरकार की नीयत जानता है, क्यों सत्र के आखिरी दिन बिल लाया गया। यादव ने कहा कि कैबिनेट से लेकर सचिवालय, स्कूल, कॉलेज, कोर्ट सभी जगह गंभीर जातिगत असमानताएं हैं। उन्होंने कहा कि 2 करोड़ रोजगार देने के वादे का क्या हुआ, ओबीसी कमीशन अब तक क्यों नहीं गठित किया गया है। उन्होंने कहा कि इस सरकार के अंदर दलित, शोषितों के साथ सबसे ज्यादा अन्याय हुआ है।

क्या है लोकसभा का गणित?

लोकसभा में बिल पास करने के लिए सरकार को वर्तमान में कुल 523 में से 349 सांसदों का समर्थन चाहिए। राज्यसभा में वर्तमान में कुल 244 में से 163 सदस्यों का समर्थन चाहिए।

संविधान संशोधन बिल के जरिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में एक धारा जोड़कर शैक्षणिक संस्थाओं और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य तबकों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया जाएगा। इस बिल में प्रावधान किया गया  है कि जिनकी सालाना आय 8 लाख रुपए से कम और जिनके पास पांच एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि नहीं है, वे आरक्षण का लाभ ले सकते हैं। ऐसे लोगों के पास नगर निकाय क्षेत्र में 1000 वर्ग फुट या इससे ज्यादा काा भूमि का फ्लैट नहीं होना चाहिए और गैर-अधिसूचित क्षेत्रों में 200 यार्ड से ज्यादा का फ्लैट नहीं होना चाहिए।

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