उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी सियासी दांव बेहद नपे-तुले अंदाज में चल रहे हैं। उनके कदमों में आपसी समझदारी का लयताल साफ दिखने लगा है। दोनों ही दलों की कोशिश है कि आगामी विधानसभा चुनावों में लड़ाई भाजपा और सपा के बीच रहे, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को पीछे ढकेल दिया जाए।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का यह कहना कि कोशिश है कि बसपा की मायावती चुनाव से पहले अकेली हो जाएं। इससे पहले भी भाजपा निशाना मायावती पर साध रही है, क्योंकि वह सियासी खेल को अपने और सपा के बीच फिक्स करना चाहती है।
ऐसी ही कोशिश समाजवादी पार्टी की तरफ से हो रही है। सपा में हाल ही में वापस गए और राज्यसभा सांसद अमर सिंह ने आउटलुक को बताया कि स्वामी प्रसाद मौर्या के बाहर आने से मायावती और बसपा के जीतने की संभावनाएं खत्म हो गई हैं। हालांकि अमर सिंह ने माना कि पहले मायावती का नाम बहुत तेजी से चल रहा था, लेकिन अब सपा ने धरती पुत्र (मुलायम सिंह यादव) के नेतृत्व में दोबारा मजबूत स्थिति हो गई है। और अब लड़ाई सपा और भाजपा के बीच है।
भाजपा की तरफ से एक तरफ राम मंदिर और सांप्रदायिक तनाव फैलाने का दांव चला गया, वहीं दूसरी तरफ खुद को सत्ता का विकल्प के तौर पर पेश किया जा रहा है। सपा से तो एक भीतरखाने की समझदारी की चर्चा लंबे समय से चल रही रही है। वैसे भी, चुनाव को हिंदू-मुस्लिम करने की पूरी तैयारी और रणनीति भाजपा बना चुकी है। सपा को राम मंदिर मसले पर कोई बड़ी नाराजगी नहीं। अमर सिंह ने आउटलुक को बताया कि वह सुब्रहमण्यम स्वामी द्वारा रोज-ब-रोज सुनवाई कराकर जल्द निर्माण शुरू कराने चाहते है और इस प्रस्ताव से अमर सिंह को कोई दिक्कत नहीं।