Advertisement

केरल: पूर्व स्वास्थ्य मंत्री शैलजा को मंत्री न बनाने की वजह क्या?

“मुख्यमंत्री विजयन के नए चेहरे के बहाने पूर्व स्वास्थ्य मंत्री शैलजा को मंत्री न बनाने की वजह...
केरल: पूर्व स्वास्थ्य मंत्री शैलजा को मंत्री न बनाने की वजह क्या?

“मुख्यमंत्री विजयन के नए चेहरे के बहाने पूर्व स्वास्थ्य मंत्री शैलजा को मंत्री न बनाने की वजह क्या”

महामारी कोविड-19 ने पिछले साल जब पहली बार देश में दस्तक दी थी, तब केंद्र से भी पहले केरल सतर्क हुआ। टेस्टिंग, ट्रेसिंग और क्वाारंटीन नीति तैयार की और गांव-गांव में फैले स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत करने में जुट गया। लिहाजा, महामारी की पहली लहर केरल में दूसरे राज्यों की तरह तबाही नहीं मचा पाई, जिसकी देश ही नहीं, विदेश में भी खासी चर्चा हुई। उस पूरे अभियान की कमान तब की स्वास्थ्य मंत्री के.के. शैलजा के हाथ थी। उन्हें प्यार से शैलजा टीचर या शैलजा अम्मा कहा जाता है, उनके काम की ख्याति अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गूंजी। सो, केरल में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की अगुआई में वाम लोकतांत्रिक मोर्चे ने लगातार दूसरी सरकार बनाई तो वरिष्ठ जनाधार वाली इस नेता की जगह अनिवार्य मानी जा रही थी। पर विजयन ने उनके सहित पार्टी के कई दिग्गजों को सरकार से दूर रख चौंका दिया।

18 मई को विजयन का अपने दूसरे कार्यकाल के लिए कैबिनेट का चयन कई लोगों को सदमे की तरह था। दिग्गजों के बदले नए चेहरों को तरजीह दी गई। कन्नूर जिले की मत्तनूर सीट से 60,963 मतों के सर्वाधिक अंतर से चुनाव जीतीं शैलजा की जगह एक युवा पत्रकार वीना जॉर्ज को स्वास्थ्य महकमा दिया गया। शैलजा को विधानसभा में पार्टी सचेतक की जिम्मेदारी दी गई है। इस घटनाक्रम से माकपा और मुख्यमंत्री विजयन आलोचनाओं से घिर गए हैं। सोशल मीडिया तो तीखी प्रतिक्रियाओं से भर उठा है। आलोचकों का कहना है कि शैलजा को हटाने का निर्णय पार्टी के पितृसत्तात्मक और स्त्री विरोधी चरित्र को दर्शाता है। कई लोग हाल ही में दिवंगत हुईं के.आर. गौरी और सुशीला गोपालन जैसी महिला नेताओं का हवाला देते हैं, जिनके बारे में दावा किया जाता है कि वे महिला होने के कारण पार्टी में अलग-थलग थीं। कुछ लोग शैलजा की तुलना गौरी अम्मा से करने लगे हैं, जिन्हें अंतत: पार्टी ही छोड़नी पड़ी थी। एक वक्त गौरी अम्मा मुख्यमंत्री पद का दावेदार मानी जाती थीं।

 

 

हालांकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में रॉकस्टार स्वास्थ्य मंत्री की संज्ञा पाने वाली शैलजा ने कहा कि नए मंत्रिमंडल में स्थान न मिलने से वे हताश नहीं हैं। उन्होंने कहा, “भावुक होने की आवश्यकता नहीं। मैं पहले भी पार्टी के फैसले की वजह से मंत्री बनी। मैंने जो किया उससे मैं पूरी तरह संतुष्ट हूं। मुझे विश्वास है कि नई टीम मुझसे बेहतर कर सकती है। व्यक्ति नहीं, बल्कि व्यवस्था ने महामारी के खिलाफ जंग लड़ी।” इससे पहले 2018 और 2019 में निपह वायरस के प्रकोप की रोकथाम के लिए भी सेवानिवृत्त स्कूल शिक्षिका शैलजा के काम को सराहा गया था।

दूसरी ओर राजनीतिक जानकारों के एक वर्ग का मानना है कि शैलजा का आम लोगों के बीच लोकप्रिय होना मुख्यमंत्री विजयन की बेचैनी बढ़ा रहा था। विजयन के लिए लगातार यह खतरा बना हुआ था कि शैलजा का कद उनकी छवि को प्रभावित कर उन्हें कठिनाइयों में डाल सकता है। पार्टी और खुद की हो रही किरकिरी के बीच मुख्यमंत्री विजयन ने इस फैसले का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि मैं विभिन्न वर्गों की राय का सम्मान करता हूं, लेकिन पार्टी की नीति है कि नए चेहरों को आना चाहिए।  उन्होंने कहा, “कई पूर्व मंत्रियों ने अपने विभागों में उल्लेखनीय काम किया था लेकिन पार्टी नए लोगों को आगे लाना चाहती है।” माकपा के कार्यवाहक सचिव ए. विजय राघवन ने कहा कि राजनीति और संगठन समान रूप से महत्वपूर्ण हैं और मौजूदा फैसला इसी के अनुरूप है। उन्होंने कहा, “पार्टी को संगठनात्मक हितों को भी ध्यान में रखना होगा। सत्ताधारी दल के तौर पर, उसे राज्य के हितों की रक्षा के लिए भी उचित विचार करना होगा। इसलिए, गंभीर चिंतन के बाद पार्टी ऐसे फैसलों पर पहुंचती है।”

विजयन सरकार के 21 सदस्यीय मंत्रिमंडल में ज्यादातर नए चेहरे और तीन महिला सदस्य हैं। मुख्यमंत्री विजयन के अलावा पुराने चेहरों में जेडीएस नेता के. कृष्णनकुट्टी और राकांपा नेता ए.के. शशींद्रन हैं जो पिछली सरकार में क्रमश: जल संसाधन और परिवहन मंत्री थे। पार्टी ने शैलजा की वापसी की मांग करने वालों को साफ शब्दों में कहा है कि लोकप्रिय स्वास्थ्य मंत्री को मंत्रिमंडल में शामिल न करना पार्टी का राजनीतिक और सांगठनिक फैसला है और इस पर कोई पुनर्विचार नहीं होगा। जाहिर है, विजयन का सिक्का चल रहा है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad