मांझी खुद तो जहानाबाद जिले के मकदूमपुर से उम्मीदवार हैं ही, उनके पुत्र संतोष कुमार सुमन औरंगाबाद जिले के कुटुंबा से उम्मीदवार बनाए गए हैं। हम के प्रदेश अध्यक्ष शकुनी चौधरी मुंगेर के तारापुर से तो उनके पुत्र राकेश कुमार खगड़िया से उम्मीदवार घोषित किए गए हैं। उनकी पार्टी के एक और बड़े मगर विवादित नेता, पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के एक पुत्र अजय प्रताप सिंह को रामविलास पासवान और उनकी लोजपा के लाख विरोध के बावजूद भाजपा ने जमुई से अपना उम्मीदवार बनाया है जबकि उनके एक और विधायक बेटे सुमित सिंह चकाई से दावेदार हैं। खुद नरेंद्र सिंह विधान पार्षद हैं।
लेकिन इस मामले में भी मांझी पासवान को पछाड़ नहीं सकते। पासवान के साथ ही उनके एक भाई रामचंद्र पासवान और पुत्र चिराग लोकसभा के सदस्य हैं। विधानसभा के लिए भी उनकी लोजपा की पहली सूची में उनके तीसरे भाई पशुपति कुमार पारस, सांसद भाई रामचंद्र पासवान के बेटे प्रिंस राज को उम्मीदवार बनाया गया है। दबंग छवि के पूर्व सांसद सूरजभान की पत्नी वीणा देवी लोकसभा सदस्य हैं तो उनके समधी और बहनोई सहित चार रिश्तेदारों को लोजपा का टिकट मिला है। वीणा देवी ने उन्हें टिकट नहीं मिलने पर पार्टी छोड़ने की धमकी दी थी। एक और सांसद जिन्हें राजग के एकमात्र मुस्लिम सांसद होने का गौरव हासिल है, महबूब अली कैसर के बेटे मोहम्मद यूसुफ को लोजपा ने खगड़िया से उम्मीदवार बनाया है। लेकिन पासवान के इस परिवार प्रेम से उनके अपने दामाद एवं बिहार प्रदेश दलित सेना के अध्यक्ष अनिल कुमार साधू बेहद नाराज हैं। उन्होंने अपने श्वसुर पर पुत्र प्रेम में अंधे धृतराष्ट्र बनकर दामादों के हित की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए बगावत कर दी है। वह अब लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के महागठबंधन में अपने लिए संभावनाएं तलाश रहे हैं, अन्यथा तारिक अनवर के नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतर रहा, मुलायम सिंह यादव, पप्पू यादव का तीसरा समाजवादी धर्मनिरपेक्ष मोर्चा तो है ही। लोजपा ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया है। लोजपा के एक और सांसद रामा सिंह ने उनके रिश्तेदार को टिकट नहीं मिलने पर बगावत है।
कांग्रेस पर परिवारवाद और वंशवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाने वाली भाजपा भी इस मामले में पीछे नहीं। अब तक घोषित इसके अपने 142 उम्मीदवारों में दर्जन भर किसी न किसी नेता के पुत्र, रिश्तेदार हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता और गाहे बगाहे खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित करनेवाले डा। सीपी ठाकुर के पुत्र विवके ठाकुर को ब्रह्मपुर से पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं लोकसभा सदस्य हुकुमदेव नारायण यादव के विधायक पुत्र अशोक यादव को केवटी, सासंद अश्विनी चौबे के पुत्र अर्जित शास्वत को भागलपुर, गंगा प्रसाद चौरसिया के पुत्र संजीव चौरसिया को दीघा से उम्मीदवार बनाया गया है जबकि निवर्तमान विधायक चंद्रप्रकाश राय का टिकट काटकर उनके पुत्र चंद्रप्रकाश राय को चनपटिया से उम्मीदवार बनाया गया है। राजद के सांसद रहे स्व. उमाशंकर सिंह के पुत्र जितेंद्र स्वामी को दरोंधा से उम्मीदवार बनाया गया है। स्वामी ने लोकसभा का पिछला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था। भाजपा ने चारा घोटाले में सजायाफ्ता पूर्व मुख्यमंत्री डा. जगन्नाथ मिश्र के बेटे नीतीश मिश्र को झंझारपुर तथा इसी मामले में एक और सजायाफ्ता पूर्व सांसद जगदीश शर्मा के पुत्र राहुल शर्मा का जहानाबाद जिले में घोसी से उम्मीदवार बनाया गया है। भाजपा ने अपने 14 विधायकों के टिकट काटे हैं उनमें से एक जेपी आंदोलन के सक्रिय नेता रहे विक्रम कुंवर भी हैं, उनकी जगह रघुनाथपुर से भाजपा ने जंगलराज के प्रतीक कहे जानेवालों में से एक पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन, अभी जेल में, के शूटर कहे जानेवाले मनोज सिंह को उम्मीदवार घोषित किया है। बाहुबली कहे जानेवाले बिशेश्वर ओझा को इस बार भाजपा ने शाहपुर से उम्मीदवार बनाया है, पिछलीबार लोकलाज के संकोच से भाजपा ने उनकी भावह मुन्नी देवी को उम्मीदवार बनाया था, वह जीत भी गई थीं लेकिन इस बार ओझा जी खुद ही मैदान में हैं।
परिवार प्रेम और बाहुबल को प्रमुखता देने के मामले में कोई भी दल किसी से पीछे नहीं है। जद यू, राजद और कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची अभी तक सार्वजनिक नहीं हुई है लिहाजा उसकी समीक्षा संभव नहीं हो पा रही है।