बुधवार को केंद्र और किसान नेताओं के बीच नए कृषि संबंधी कानूनों को लेकर दसवें दौर की वार्ता हुई। इसमें केंद्र एक से डेढ़ साल तक कानूनों पर रोक लगाने को तैयार हो गई है। सुप्रीम कोर्ट इन कानूनों पर अंतरिम रोक पहले हीं लगा चुकी है। साथ हीं केंद्र ने चार सदस्यों वाली कमेटी का गठन भी किया है। हालांकि, इसमें से एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने खुद को अलग कर लिया था। केंद्र ने कहा है कि वो इन कानूनों को करीब दो सालों तक रोकने को तैयार है और इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट बनाकर देगी। हालांकि, किसान केंद्र के प्रस्ताव पर 22 जनवरी को जवाब देंगे। करीब दो साल के लिए रोक लगाने के केंद्र के फैसले को लेकर मोदी सरकार ने अभी तक कोई कारण नहीं बताया है। लेकिन, ये कयास लगाए जा रहे हैं कि केंद्र के इस फैसले के पीछे राजनीतिक वजहें हैं।
दरअसल, कई राज्यों में इन दो सालों में विधानसभा चुनाव होने हैं। और हाल के दिनों में चल रहे किसान आंदोलन के बीच हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार संकट में है। घटक दल जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) प्रमुख और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पर लागातार दवाब बन रहे हैं। वहीं, इसी साल बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं और विपक्ष सरीखे पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी लगातार मोदी सरकार को निशाने पर ले रही है।
उत्तर प्रदेश में साल 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं जबकि असम, केरल, तमिलनाडु में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। हरियाणा में सात सीटों पर हुए निकाय चुनाव में से पांच सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। जबकि एक सीट पर हुए बरोदा विधानसभा उप चुनाव में भी भाजपा को मुंह की खानी पड़ी। अब देखना होगा कि केंद्र कानूनों को रोकने को लेकर क्या कारण बताती है।