नीतीश ने तो यहां तक कह दिया कि अगर राज्यपाल सरकार बनाने के लिए उनके दावे को स्वीकार नहीं करते तो वे इस लड़ाई को राष्ट्रपति तक ले जायेंगे।
तेजी से बदल रहे घटनाक्रमों के बीच जद यू ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में मांझी को पार्टी से बर्खास्त कर दिया और विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें असंबद्ध विधायक घोषित कर दिया।
पूर्व मुख्यमंत्री और अब जद यू विधायक दल के नेता चुने गये नीतीश कुमार ने राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से मुलाकात की और उन्हें वर्तमान में 233 सदस्यीय विधानसभा में उनका समर्थन करने वाले 130 विधायकों की सूची सौंपी, जिनमें जदयू, राजद, कांग्रेस तथा एक निर्दलीय विधायक शामिल है।
राज्यपाल से मुलाकात के बाद नीतीश ने बताया कि उन्होंने त्रिपाठी से कहा कि वह 24 या 48 घंटे में, राज्यपाल जिस भी समय सीमा को तय करते हैं, अपना बहुमत साबित करने को तैयार हैं।
राजद नेता लालू प्रसाद एवं जदयू अध्यक्ष शरद यादव की मौजूदगी में नीतीश ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि 20 फरवरी से शुरू होने जा रहे विधानसभा के बजट सत्र से पहले ही नयी सरकार गठित हो जाये।
नीतीश ने कहा कि यदि उन्हें सरकार बनाने का मौका नहीं दिया गया अथवा इस मामले में टाल मटोल की गयी तो वह दिल्ली में जद यू, राजद, कांग्रेस, भाकपा एवं एक निर्दलीय सहित 130 विधायकों की राष्ट्रपति के समक्ष परेड करवायेंगे।
दूसरी ओर जीतनराम मांझी सदन में २० फरवरी या उससे पहले विश्वासमत हासिल करने की बात कह रहे हैं। मांझी के समर्थक राजीव रंजन का कहना है कि नीतीश कुमार जल्दबाजी में सब कुछ कर रहे हैं जो कि अनुचित है। उन्होने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में जनता नीतीश कुमार को सबक जरूर सिखाएगी। वहीं भाजपा ने जीतनराम मांझी के समर्थन पर अभी कोई स्पष्ट रूख नहीं तय किया है।