केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह युवा मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। वहीं कलराज मिश्र युवा मोर्चे के सबसे पहले अध्यक्ष थे। अरुण जेटली अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे हैं और आपातकाल के दौरान मीसाबंदी भी रहे हैं। मोदी मंत्रिमंडल में शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्णकालिक सदस्य रहे हैं। उन्हीं की तरह केमिकल एंड फर्टीलाइजर मंत्री अनंत कुमार भी एबीवीपी के पूर्णकालिक थे और वहीं से उन्होंने अपना राजनैतिक सफर शुरू किया था। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर शुरुआत के सालों में एबीवीपी में पूर्णकालिक थे। स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा भी अपने कॉलेज के दिनों से छात्र राजनीति में सक्रिय थे और एबीवीपी इकाई के पूरा सहयोग करते थे। पेट्रोलियम और नैचुरल गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं।
वहीं संघ और संघ की विचारधारा से जुड़े लोगों की संख्या भी अच्छी खासी है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर संघ शाखा के नियमित सदस्य थे। मोहन भागवत के बेहद करीबी समझे जाने वाले पर्रिकर को भागवत पार्टी अध्यक्ष बनाना चाहते थे। अध्यक्ष बनने से पहले ही पर्रिकर ने कहा, ‘सबसे पहले सड़े अचार को बाहर का रास्ता दिखाना होगा।’ इस जुमले के कारण पर्रिकर का खूब विरोध हुआ और एक और शाखा के नियमित सदस्य फिलहाल राष्ट्रीय राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। मंगलवार को मंत्रिमंडल के विस्तार में पद्दोन्नति पाने वाले प्रकाश जावडेकर का संघ से पुराना नाता रहा है। दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद के पिता जनसंघ में थे और उन्हीं के नक्शे कदम पर चलते हुए प्रसाद संघ के निष्ठावान कार्यकर्ता बने रहे। मंत्रिमंडल में बंडारू दत्तात्रेय, श्रीपाद नाइक, अनिल माधव दवे, फग्गन सिंह कुलस्ते, महेंद्र नाथ पांडेय, राजन गौहेन को जगह दी गई जो संघ के प्रचारक रह चुके हैं। विजय गोयल, मनसुख भाई मांडवीया का भी संघ से पुराना नाता है। जबकि पुरुषोत्तम रुपाला उस सूची में है जो मोदी की पहली पसंद मानी जाती है। इनके अलावा विश्व हिंदू परिषद में सक्रिय उमा भारती, निरंजना ज्योति को भी जगह मिली हुई है। मंगलवार को हुए केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार में भी संघ से जुड़े लोगों को प्राथमिकता दी गई। पीपी चौधरी संघ में रहे और बाद में सांसद बने। चौधरी के बारे में कहा जाता है कि आठ साल की उम्र में ही वे बालसेवक बन गए थे। केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कुछ मंत्रियों का संघ से नाता नहीं रहा। जिनमें चौधरी बीरेंद्र सिंह, नजमा हेपतुल्लाह, एमजे अकबर, रामकृपाल यादव, रामविलास पासवान, हरसिमरत कौर बादल, जयंत सिन्हा, मेनका गांधी, किरन रिज्जू, राज्यवर्धन राठौर, उपेंद्र कुशवाहा आदि का नाम शामिल है। लेकिन सियासी समीकरण के चलते भाजपा से जुड़े। अनुप्रिया पटेल अपना दल की सांसद हैं और उत्तर प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं को लुभाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई है।
मंगलवार को हुए विस्तार के बाद से एक बात साफ हो गई है कि संघ का दबदबा रहा है। इसलिए संघ की पृष्ठभूमि के ज्यादातर सांसदों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है।