गुजरात में विधानसभा चुनाव के लिए नौ दिसंबर को पहले चरण का मतदान होना है। उससे पहले पाटीदार समुदाय के गौरव और ताकत का प्रतीक माने जाने वाले दो मंदिरों पर सारी निगाहें टिक गई हैं। ये हैं, राजकोट जिले का खोडलधाम मंदिर और मेहसाणा जिले का उमियाधाम मंदिर।
खोडलधाम मंदिर का निर्माण पाटीदार समुदाय की लेउवा उपजाति ने, जबकि उमियाधाम मंदिर का निर्माण कडवा उपजाति ने कराया है। समाजशास्त्री गौरांग जानी के अनुसार पिछले दो साल के दौरान बने ये मंदिर संबंधित समूहों के गौरव एवं सत्ता का केंद्र बन चुके हैं। खोडलधाम मंदिर के दो ट्रस्टी दिनेश चोवाटिया और रविभाई अम्बालिया कांग्रेस के टिकट पर क्रमश: राजकोट दक्षिण और जेतपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं। एक अन्य ट्रस्टी गोपालभाई वस्तापारा अमरेली जिले के लाठी बाबरा क्षेत्र से सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं।
गुजरात में राजनीतिक कारणों से मंदिर हमेशा चर्चा में रहे हैं। भाजपा के पूर्व अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने आयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए 1990 में अपनी रथयात्रा प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर से शुरू की थी। साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाए जाने के कारण अयोध्या से लौट रहे श्रद्धालुओं की मौत के बाद 2002 के विधानसभा चुनावों में भी मंदिर केंद्र में था।
गुजरात में पटेलों की आबादी करीब 18 प्रतिशत है। इनमें 70 फीसदी आबादी लेउवा पटेल की है जो ज्यादातर सौराष्ट्र, मध्य और दक्षिण गुजरात में रहते हैं। कड़वा पटेल ज्यादातर उत्तरी गुजरात में बसे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल इस समुदाय को भाजपा के साथ लेकर आए थे। राजनीतिक विशलेषक हेमंत शाह ने बताया कि पिछले कुछ सालों तक भाजपा पाटीदारों की सत्ता का प्रतीक थी। लेकिन, खोडलधाम और उमियाधाम मंदिर के उद्घाटन के मौके पर जिस तरह लाखों पाटीदार जुटे थे उससे साफ है कि इस समुदाय ने भाजपा से बाहर भी अपने लिए सत्ता का केंद्र बना लिया है।
पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के नेता हार्दिक पटेल कड़वा पटेल हैं। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक उन्हें पटेलों की दोनों उपजाति का समर्थन हासिल है। पिछले हफ्ते उन्होंने श्री खोडलधाम ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेशभाई पटेल से मुलाकात की थी। बाद में हार्दिक ने दावा किया कि वह नरेशभाई पटेल का शंका समाधान करने में सफल रहे हैं। ट्रस्ट ने बडी संख्या में पाटीदार समुदाय के लोगों के बदतर स्थिति में रहने के हार्दिक के दावे से सहमति जताई, लेकिन ट्रस्ट ने साफ किया कि वह राजनीतिक तौर पर तटस्थ रहेगा।
राजकोट के एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक ने बताया कि नरेशभाई सार्वजनिक तौर कभी लोगों के सामने नहीं आते हैं। लेकिन, उन्होंने हार्दिक के साथ अपनी तस्वीर मीडिया में जारी करने की अनुमति दी थी। खोडलधाम ट्रस्ट हार्दिक के आरक्षण की मांग का समर्थन करता है, लेकिन हार्दिक राजनीतिक विजय के रूप में इसे प्राप्त करना चाहते हैं। इसका साफ मतलब है कि समुदाय हार्दिक के निकट बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि नरेशभाई पटेल लेउवा समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं जो पाटीदारों का करीब 70 फीसदी है और उन्होंने अपनी तस्वीर हार्दिक के साथ जारी किए जाने की अनुमति दी जो कड़वा पटेल हैं। वे कहते हैं, ‘‘गुजरात में हवा किस तरफ बह रही है यह अनुमान लगाने के लिए क्या यह काफी नहीं है।’’
चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात के कई मंदिरों का दौरा किया है। इनमें पाटीदारों के ये दोनों मंदिर भी शामिल हैं। उन्होंने ट्रस्टियों से मुलाकात भी की थी। राहुल के दौरे के तुरंत बाद मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने खोडलधाम मंदिर पहुंचकर नरेश भाई पटेल से मुलाकात की थी। इससे गुजरात की राजनीतिक दिशा तय करने में दोनों मंदिरों की भूमिका का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।