इस कड़ी में दिसपुर में अपनी सरकार के गठन के तुरंत बाद नार्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस का गठन कर दिया गया। उस बैठक की अध्यक्ष भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने की जिसमें भाजपा के रणनीतिकार राम माधव के साथ असम, अरुणाचल और नगालैंड के मुख्यमंत्री भी शामिल हुए। ये लोग सर्वानंद के शपथ समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किए गए थे। इस एलायंस का अध्यक्ष असम भाजपा के ‘चाणक्य’ हिमंत विश्व शर्मा को बनाया गया है। मणिपुर में अगले वर्ष चुनाव होना है। असम के बाद पूर्वोत्तर में भाजपा की नजर अब मणिपुर पर होगी।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि असम के बहाने संपूर्ण पूर्वोत्तर में भाजपा की धमक का अहसास कराने के मकसद से ही सर्वानंद सरकार के शपथग्रहण समारोह को वैभवपूर्ण बनाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ईराक की यात्रा के बाद सीधे गुवाहाटी इसलिए नहीं आए कि यहां भाजपा की पहली सरकार बन रही है, बल्कि संपूर्ण पूर्वोत्तर को यह संदेश देने आए थे कि पूर्वोत्तर उनके लिए कितना महत्वपूर्ण है। इस समारोह में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के आने का विशेष तात्पर्य है, क्योंकि आडवाणी को पूर्वोत्तर के लोग को भाजपा नेता के रूप में जानते हैं। उनका चेहरा आमलोगों के लिए परिचित है। इस समारोह में गुजरात, पंजाब, राजस्थान, झारखंड, गोवा आदि के मुख्यमंत्रियों के साथ प्रभावशाली केंद्रीय मंत्रियों की मौजूदगी पूरे आयोजन के पीछे के मकसद को बयां कर रही थी।
यही वजह थी कि इस आयोजन के लिए पूरे तामझाम की व्यवस्था की गई थी और इसे राजभवन के बाहर खुले आकाश के नीचे की गई थी, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बन सकें। इसका संदेश पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों तक तक पहुंचना तय है और इसका मकसद भी यही है।