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जब जीत के बाद ‘माया’ से मिलने पहुंचे ‘अखिलेश’

सियासत की महिमा न्यारी है। यूपी की राजनीति में कई कारणों से दो विपरीत ध्रुव समझे जाने वाले दल बसपा और...
जब जीत के बाद ‘माया’ से मिलने पहुंचे ‘अखिलेश’

सियासत की महिमा न्यारी है। यूपी की राजनीति में कई कारणों से दो विपरीत ध्रुव समझे जाने वाले दल बसपा और सपा अब साथ-साथ खुशियां मनाने में जुटे हैं। अखिलेश और माया के समर्थन में एक साथ नारे लग रहे हैं। बुआ-भतीजे के सियासी रिश्ते को एक तंज की तरह देखने वालों की भी दृष्टि बदल गई। अब बुआ-बबुआ मुस्कुराते हुए एक नई राजनीतिक रुपरेखा तैयार करने की आशा दिखा रहे हैं।

गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में जीत के बाद बुधवार शाम को सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बसपा सुप्रीमो मायावती से मुलाकात की। अखिलेश खुद बसपा सुप्रीमो के निवास पहुंचे।

दोनों के बीच लगभग 40 मिनट की मुलाकात हुई। बता दें कि उपचुनाव के कुछ दिन पहले ही बसपा ने सपा उम्मीदवारों को समर्थन देने का एलान किया था।

लोग इस समीकरण को 1993 में काशीराम और मुलायम सिंह के गठबंधन से जोड़कर देख रहे हैं। माया-अखिलेश के इस सियासी गठजोड़ में सपा-बसपा भाजपा को हराने में कामयाब रहे हैं। मुलायम और काशीराम के बीच दोस्ती सिर्फ 2 साल चली और 1995 में टूट गई थी। लेकिन बुआ-बबुआ की ये जोड़ी क्या कोई विकल्प दे पाएगी यह आने वाला वक्त ही बताएगा।

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