भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट में तृणमूल कांग्रेस पार्टी के खिलाफ एक याचिका दायर की थी जिसे सर्वोच्य न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया. दरअसल भाजपा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्रत्री ममता बनर्जी की टीएमसी के खिलाफ अपने विज्ञापन पर कलकत्ता हाईकोर्ट की रोक को चुनौती दी थी.
न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की अवकाशकालीन पीठ ने उच्च न्यायलय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए कहा, “प्रथम दृष्टया विज्ञापन अपमानजनक है.” अभी जब हाईकोर्ट में सुनवाई लंबित है तो आप वहां अपनी बात रखिए. सुप्रीम कोर्ट से झटका लगने के बाद बीजेपी ने अपनी याचिका वापस ले ली है.
बीजेपी का कहना था कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने बिना उसका पक्ष सुने एकतरफा आदेश दिया है. राज्य सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले यह विज्ञापन तथ्यों पर आधारित थे. इसके बाद ही बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. वहीं दूसरी ओर टीएमसी ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि विज्ञापन में हमारी पार्टी और कार्यकर्ताओं के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाए है जिसका सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं है. इस मामले पर कलकत्ता हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 20 मई को भाजपा को चार जून तक आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले विज्ञापन प्रकाशित करने से रोक दिया था.
आपको बता दें कि भाजपा ने स्थानीय समाचार पत्रों में चार विज्ञापन प्रकाशित किए थे जिसमें सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस को भ्रष्ट और हिंदुओं के खिलाफ बताया गया था. विज्ञापन में भाजपा ने यह भी दावा किया था कि वर्तमान शासन के तहत राज्य में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं. विज्ञापन के बाद टीएमसी ने चुनाव आयोग के समक्ष कई शिकायतें दर्ज की लेकिन आयोग द्वारा कथित निष्क्रियता के बाद पार्टी ने उच्च न्यायालय का रुख किया. मालूम हो कि आदर्श आचार संहिता के अनुसार, राजनीतिक दलों, नेताओं और उम्मीदवारों को असत्यापि आरोपों के आधार पर अपने विरोधियों की आलोचना करने से रोकता है.