बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले सीएम फेस और सीट शेयरिंग को लेकर महागठबंधन में काफी हलचल है। इसी बीच आरजेडी नेता तेजस्वी यादव 15 अप्रैल को दिल्ली जा रहे हैं। दिल्ली में उनकी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात होनी है। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। इस दौरान महागठबंधन में आपसी मतभेद से लेकर सीट शेयरिंग तक कई मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। वहीं, मुलाकात को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। इस संबंध में आरजेडी सांसद मनोज झा ने एएनआई से बातचीत में बताया कि यह औपचारिक मुलाकात है।
तेजस्वी यादव और मल्लिकार्जुन खड़गे की मुलाकात को लेकर आरजेडी नेता मनोज झा ने कहा कि, "कांग्रेस पार्टी के सहयोगियों पर नजर डालें तो आरजेडी अब तक की सबसे पुरानी सहयोगी रही है। इस औपचारिक बैठक में पूरे परिदृश्य पर चर्चा की जाएगी। यह बैठक बिहार के पूरे संदर्भ को ध्यान में रखते हुए तय की गई है और चूंकि चुनाव में अभी 6-8 महीने बाकी हैं, इसलिए इस पर चर्चा की जाएगी।"
सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर चर्चा
सीट शेयरिंग के लिहाज से भी यह बैठक महागठबंधन के लिए काफी अहम मानी जा रही है। चुनाव से पहले आरजेडी और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान चल रही है। ऐसे में इस बैठक के दौरान तेजस्वी यादव मल्लिकार्जुन खड़गे से सीट शेयरिंग को लेकर अपनी बात साफ कर सकते हैं। साथ ही सीएम फेस को लेकर भी कोई फैसला हो सकता है। हालांकि तेजस्वी यादव खुद को सीएम पद का दावेदार मानते रहे हैं।
कांग्रेस 70 से कम सीटों पर राजी नहीं हो रही
दरअसल, चुनाव में बस कुछ ही महीने बचे हैं। ऐसे में सबसे बड़ी लड़ाई सीट शेयरिंग को लेकर देखने को मिल रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था। ऐसे में कांग्रेस का कहना है कि इस बार भी कांग्रेस 70 सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी। इसके अलावा लेफ्ट पार्टियां 50 से 60 और मुकेश सहनी 60 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं। अब मामला यहां फंस रहा है कि बिहार विधानसभा में कुल 242 सीटें हैं, जिसमें अकेले आरजेडी 180 से 190 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है।
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पहले से ही सक्रिय है
इस बार विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस गंभीर नजर आ रही है। चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने 26 दिनों की यात्रा निकाली। इस यात्रा का नाम "पालन रोको नौकरी दो" रखा गया। इससे पता चलता है कि कांग्रेस बिहार में पलायन और रोजगार के मुद्दे पर चुनाव को अपने पक्ष में मोड़ना चाहती है। यात्रा के दौरान कांग्रेस के बड़े नेता कन्हैया कुमार के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते नजर आए, राहुल गांधी से लेकर सचिन पायलट तक कई बड़े नेता इसमें शामिल हुए।
एनडीए में कुर्सी को लेकर फिर घमासान
एक तरफ कांग्रेस ने अभी तक महागठबंधन में तेजस्वी यादव के नाम को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। वहीं एनडीए में भी सीएम चेहरे को लेकर खींचतान चल रही है। अभी तक नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का चेहरा माना जा रहा था, लेकिन हरियाणा के मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता नायब सिंह सैनी के एक बयान ने सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। दरअसल, उन्होंने गुरुग्राम में एक सभा में कहा कि सम्राट चौधरी बिहार चुनाव में एनडीए का नेतृत्व करेंगे और उनके नेतृत्व में जीत हासिल होगी। उनके इस बयान पर जेडीयू ने भी प्रतिक्रिया दी और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने बयान जारी कर कहा कि बिहार की धरती से एक ही बात निकलती है, नीतीश हैं तो तय है। अब इस पर एनडीए के अंदर सियासत गरमा गई है।