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लोकसभा में रेल संशोधन विधेयक पर चर्चा: विपक्ष ने रेलवे के निजीकरण की आशंका जताई

कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सांसदों ने भारतीय रेलवे के निजीकरण की आशंका जताते हुए बुधवार को कहा कि...
लोकसभा में रेल संशोधन विधेयक पर चर्चा: विपक्ष ने रेलवे के निजीकरण की आशंका जताई

कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सांसदों ने भारतीय रेलवे के निजीकरण की आशंका जताते हुए बुधवार को कहा कि यात्री किराया, सुविधा और सुरक्षा पर सरकार को अधिक ध्यान देना चाहिए, वहीं भाजपा और सहयोगी दलों के सांसदों ने कहा कि इस सरकार में रेलवे में व्यापक बदलाव देखने को मिल रहे हैं।

लोकसभा में रेल (संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के मनोज कुमार ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने से रेलवे की स्वायत्तता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

उन्होंने कहा कि इससे रेलवे के निजीकरण की संभावना बढ़ेगी।

कुमार ने कहा, ‘‘रेल अधिनियम 1989 में शामिल होने वाले नए प्रावधानों से निजीकरण का रास्ता साफ हो सकता है और रेलवे की सार्वजनिक संपत्ति को निजी हाथों में सौंपा जा सकता है।’’

उन्होंने कहा कि निजी लोग आएंगे तो मनमानी करेंगे और यात्री किराया अप्रत्याशित तरीके से बढ़ सकता है।

उन्होंने रेलवे में सुविधाएं बढ़ाने की मांग की।

विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद अपराजिता सारंगी ने कहा कि यह विधेयक भारतीय रेल में व्यापक सुधार और आधुनिकीकरण के लिए लाया गया है और इससे रेलवे की पूरी व्यवस्था में सुधार होगा।

अपराजिता ने कहा कि रेलवे के कुछ पुराने कानूनों को खत्म करने का सुझाव 1986 में एक संयुक्त संसदीय समिति ने दिया था, लेकिन उस वक्त इसे नहीं माना गया।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुधारों की प्रतिबद्धता के तहत रेलवे में व्यापक बदलाव देखने को मिल रहा है।

भाजपा सदस्य रवि किशन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि देश को पुरातन कानूनों से मुक्ति दिलाई जाएगी और यह विधेयक उसी क्रम में लाया गया है।

उन्होंने दावा किया, ‘‘रेलवे के टिकट बहुत सस्ते दामों में मिलते हैं और अब अगर टिकट निरस्त किया जाता है तो यात्रियों को पूरा पैसा आता है।’’

रवि किशन ने कहा, ‘‘बुलेट ट्रेन के लिए 300 किलोमीटर की पटरी बिछ चुकी है। विकसित भारत के सपने में बुलेट ट्रेन का बहुत महत्व है।’’

समाजवादी पार्टी (सपा) के नीरज मौर्य ने कहा कि सरकार को रेलवे को निजीकरण की तरफ नहीं ले जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड को स्वतंत्र निर्णय लेने वाली संस्था बनाया जाना चाहिए।

तेलुगू देसम पार्टी (तेदेपा) के जीएम हरीश बालयोगी ने कहा कि भारतीय रेल की पहुंच का दायरा बढ़ाने, किराया किफायती बनाने और जवाबदेही तय करने की जरूरत है।

जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद कौशलेंद्र कुमार ने कहा कि कोविड के समय जिन रेलगाड़ियों को बंद किया गया था, उन्हें फिर से चलाया जाए।

कांग्रेस की संजना जाटव ने आरोप लगाया कि इस सरकार में रेलवे में सुरक्षा में बार-बार समझौता किया गया है। उन्होंने यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने पर जोर दिया।

सपा के रमाशंकर राजभर ने रेलवे बोर्ड में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के सदस्यों को शामिल करने की मांग की।

उन्होंने गैंगमैन को सम्मान देने के लिए उनका नाम रेल पटरी रक्षक किये जाने की मांग की।

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुधाकर सिंह ने कहा कि इस विधेयक में रेलवे की प्राथमिकताओं पर ध्यान नहीं दिया गया है।

भाजपा सांसद कंगना रनौत ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री जी हमेशा कहते हैं कि सरकार का काम लोगों के जीवन में सरलता लाने का होना चाहिए। निश्चय ही यह विधेयक इस उद्देश्य में सफल होता है।’’

उनका कहना था कि इस तरह का कानून बनाकर साधारण लोगों के लिए सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

भाजपा सांसद ने कहा ‘वंदे भारत’ ट्रेन आत्मनिर्भर भारत के लिए बहुत बड़ी मिसाल बनकर आई है।

आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के नेता एडवोकेट चंद्रशेखर ने कहा कि रेलवे बोर्ड में नियुक्तियां विचारधारा के आधार पर नहीं, बल्कि योग्यता के आधार पर होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि क्या रेलवे बोर्ड में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों की महिलाओं को स्थान मिलेगा या नहीं।

निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने आरोप लगाया कि रेलवे में आरक्षण को खत्म किया जा रहा है।

 

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