अयोध्या में अधिगृहीत परिसर में 5 जुलाई 2005 को हुए आतंकी हमले पर 14 साल बाद मंगलवार को प्रयागराज की विशेष कोर्ट ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने चार दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जबकि एक आरोपी मोहम्मद अजीज को बरी कर दिया। कोर्ट ने डॉ. इरफान, मोहम्मद शकील, मोहम्मद नफीस, आसिफ इकबाल उर्फ फारूक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जबकि एक अन्य आरोपी मोहम्मद अजीज को बरी कर दिया। चारों दोषियों के ऊपर ढाई लाख का जुर्माना भी लगाया गया।
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर आठ दिसंबर 2006 को यह केस फैजाबाद से प्रयागराज ट्रांसफर कर दिया गया था। प्रयागराज डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के स्पेशल जज अतुल कुमार गुप्ता ने दो साल पहले मार्च महीने में इस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 14 साल पहले हुए इस आतंकी हमले में 2 लोगों की मौत हुई थी। जबकि, सात लोग घायल हुए थे।
अयोध्या में हाईअलर्ट
फैसले को देखते हुए अयोध्या में हाईअलर्ट किया गया है। आरएएफ और पीएसी की अतिरिक्त कंपनियां अयोध्या पहुंच चुकी हैं। एसएसपी आशीष तिवारी ने मंगलवार को सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया और अधिकारियों के साथ बैठक कर मंगलवार को प्रस्तावित फैसले के मद्देनजर सतर्क रहने की हिदायत दी। अधिगृहीत परिसर की ओर जाने वाले रास्तों पर भी अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं।
पांचों आतंकवादियों पर तय हुए थे आरोप
पांच जुलाई साल 2005 में हुए इस हमले में गिरफ्तार पांचों आरोपियों डॉ इरफ़ान, आसिफ इकबाल उर्फ फारूक, शकील अहमद, मोहम्मद अजीज व मोहम्मद नसीम पर फैज़ाबाद की अदालत ने आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 307, 302, 353, 153, 153 A, 153 B, 295, 120 B के साथ ही 7 क्रिमिनल लाॅ अमेंडमेंट ऐक्ट, अनलॉफुल अमेंडमेंट ऐक्ट की धारा 16, 18, 19, 20 व पब्लिक प्रापर्टी डैमेज एक्ट की धाराओं में आरोप तय किए गए थे। 19 अक्टूबर 2006 को इन पर ये आरोप तय किए गए थे।
यह है पूरा मामला
5 जुलाई, 2005 की सुबह करीब सवा नौ बजे अयोध्या स्थित रामजन्मभूमि परिसर की बैरिकेडिंग के पास और परिसर में अत्याधुनिक हथियारों से ताबड़तोड़ फायरिंग करते हुए बम धमाका किया गया। हमले में ड्यूटी पर तैनात सुरक्षा बल के कई जवान जख्मी हो गए। जवाबी कार्रवाई में जवानों ने पांच आतंकियों को ढेर कर दिया था। बाद में पांच और आरोपी पकड़े गए। हमले में दो आम नागरिक भी मारे गए थे, जबकि सात अन्य लोग घायल हुए थे।