केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति पर असहमति जताने वाले झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो 53 साल की उम्र में आगे की पढ़ाई करेंगे। 1995 में मैट्रिक की परीक्षा पास की थी, अब इंटर करेंगे, नियमित क्लास भी करेंगे। सोमवार को उन्होंने अपने डुमरी विधानसभा क्षेत्र के नावाडीह स्थित देवी महतो इंटर कॉलेज में नामांकन कराया। कहा जब राज्य में मंत्री पद की शपथ दिलाई जा रही थी कुछ लोगों का सवाल था दसवीं पास मंत्री क्या करेंगे। उसी का जवाब दे रहा हूं। पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती। कहा, वह पढ़ाई के साथ मंत्रालय भी देखेंगे, खेती भी करेंगे और जनता का भी काम करेंगे। बेहतर शिक्षा के लिए आज ही सूबे में 4416 मॉडल स्कूल के प्रस्ताव पर स्वीकृति दी है। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा है कि स्वयं में सुधार करके शुरुआत कर रहा हूं। मैट्रिक पास करने के बाद, परिस्थितियों ने मुझे शिक्षा से दूर किया था...आज उसी दूरी को पाटने की अभिलाषा ने प्रेरित किया है।
वैसे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कैबिनेट में सिर्फ जगरनाथ महतो ही ऐसे नहीं हैं जो दसवीं पास हैं। उनके साथ-साथ पांच और मंत्री इसी कतार में हैं, यानी दसवीं पास। हेमंत मंत्रिमंडल के 11 में पांच मंत्री दसवीं पास हैं। जगरनाथ महतो के साथ-साथ अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण मंत्री चंपई सोरेन, स्वाथ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा मंत्री जोबा माझी और राजद से आने वाले श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता भी दसवीं पास हैं। हेमंत कैबिनेट के सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे लोगों में पूर्व आइपीएस अधिकारी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के पास पीएचडी की डिग्री है। ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथलेश ठाकुर स्नातक हैं। वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हाजी हुसैन अंसारी और कृषि मंत्री बादल पत्रलेख 12वीं पास हैं। जगरनाथ महतो ने इसी सप्ताह केंद्र की नई शिक्षा नीति को झारखंड में लागू करने से इनकार कर दिया। कहा कि फिलहाल नई शिक्षा नीति झारखंड में लागू नहीं होगी। इसमें कमी नजर आ रही है, कई खामियां हैं।
राज्य सरकार इसकी समीक्षा करेगी। इसके पहले मार्च महीने में भी जगरनाथ महतो ने प्रस्तावित नई शिक्षा नीति को दरकिनार करते हुए कहा था कि झारखंड के सरकारी स्कूलों में बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा के लिए नई शिक्षा नीति की जरूरत है, इसके लिए नई नीति बनाई जायेगी। जो राज्य शिक्षा में आगे हैं उनकी नीति का अध्ययन कर नई नीति तैयार की जायेगी। यहां के अधिकारियों की टीम केरल, दिल्ली और राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था के अध्ययन के लिए भेजी जायेगी। मैट्रिक और इंटर की परीक्षा के बाद नेतरहाट में एक कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा जिसमें नई शिक्षा नीति के मसले पर मंथन किया जायेगा। मालूम हो कि केंद्र की नई शिक्षा नीति के निर्माण में झारखंड कैडर के आइएएस अधिकारी अमित खरे की महत्वपूर्ण भूमिका रही। केंद्र में स्कूली शिक्षा एवं उच्च शिक्षा विभाग में रहते हुए उन्होंने इसका ड्राफ्ट तैयार कराया था। वह झारखंड में भी शिक्षा सचिव रह चुके हैं। खैर, जगरनाथ महतो ने आगे की पढ़ाई के लिए कदम उठा लिया है, देखना होगा कि दूसरे मंत्री भी ऐसा करते हैं क्या।