सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) कार्यकर्ताओं के कथित आपत्तिजनक कार्टून सोशल मीडिया पर साझा करने के आरोपी कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को मंगलवार को अग्रिम जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने इस बात पर गौर किया कि मालवीय ने अपने फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट पर माफी मांग ली है। उसने पुलिस को यह छूट दी कि अगर कार्टूनिस्ट जांच में सहयोग नहीं करते हैं तो वह उनकी जमानत रद्द किए जाने का अनुरोध कर सकती है।
सुनवाई के दौरान, मालवीय की वकील वृंदा ग्रोवर ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल ने माफी मांग ली है और याचिकाकर्ता को अभी तक जांच के दौरान पूछताछ के लिए तलब नहीं किया गया है। इस पर केंद्र सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने जवाब दिया कि सभी सबूत इकट्ठा होने के बाद ही तलब किया जाएगा।
कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय के खिलाफ वकील और आरएसएस कार्यकर्ता विनय जोशी ने मई में इंदौर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी और मालवीय पर अपने कार्टूनों के जरिए आपत्तिजनक सामग्री अपलोड करने और हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत करने और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने का आरोप लगाया था। 15 जुलाई को, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने मालवीय के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी थी और मंगलवार को अग्रिम जमानत देने का आदेश दिया। इससे पहले मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने हेमंत मालवीय की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
मालवीय ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा 3 जुलाई को दिए गए आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 (विभिन्न समुदायों के बीच सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रतिकूल कार्य), 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) और 352 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67-ए (इलेक्ट्रॉनिक रूप में किसी भी यौन रूप से स्पष्ट सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करना) के तहत मामला दर्ज किया है।