दरअसल, दिव्यांगों के सामानों को लेकर कांग्रेस समेत हर तरफ से विरोध होने पर केंद्र सरकार ने जीएसटी कर प्रणाली की अलग-अलग दरों को खत्म करते हुए, इसे एक रखने का फैसला किया है। दिव्यांगों से जुड़े उपकरणों पर जीएसटी को लेकर दिव्यांग समुदाय, उनके लिए काम करने वाली संस्थाओं और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कड़ा विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की थी। राहुल गांधी के विरोध और आलोचना के अगले ही दिन 4 जुलाई यानि मंगलवार को केंद्र ने इसकी दर 18% वाले स्लैब से हटाकर 5% तय कर दी है।
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान के मुताबिक, 5% का रियायती दर से टैक्स इसलिए लगाया गया है, ताकि उन्हें कच्चे माल पर चुकाए गए शुल्क का मुआवजा मिल सके। दिव्यांगों के लिए काम आने वाली चीजों पर भले ही 5% का टैक्स लगेगा, लेकिन इनके बनने में लगने वाले कच्चे माल पर 18 फीसदी का टैक्स लगेगा। लेकिन इन चीजों का निमार्ण करने वाली इकाइयां इस जीएसटी के लिए रिफंड का दावा कर सकती है। ऐसे में कम दरों का लाभ सीधे ग्राहकों को मिलेगा।
गौरतलब है कि पहले दिव्यांगों के साजो-सामान पर 5%, 12% और 18% की तीन जीएसटी दरें सरकार ने तय की थीं, जिसमें कुछ सामानों पर 5% तो कुछ चीजों पर 12 और कुछ पर 18% जीएसटी का प्रावधान रखा गया था। जिसके बाद इस तरह के अलग-अलग दरों को लेकर होने वाले विरोध को देखकर केंद्र ने दिव्यांगों के सामान पर मोटे तौर पर 5% की दर तय कर दी।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को मोदी सरकार पर समाज के सबसे कमजोर वर्ग के प्रति 'असंवेदनशील' होने का आरोप लगाते हुए कहा था कि व्हीलचैयर एवं ब्रेल टाइपराइटरों पर 'दिव्यांग कर' लगाया गया है। उन्होंने इसे पूरी तरह से वापस लेने की मांग की थी। जीएसटी के तहत ब्रेल टाइप राइटरों, दिव्यांगों के वाहनों एवं व्हीलचेयरों तथा सहायक उपकरणों पर पांच से 18 प्रतिशत तक का कर लगाया गया है।
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था, 'व्हीलचेयरों एवं ब्रेल टाइपराइटरों जैसे दिव्यांग उपकरणों पर जीएसटी एक बार फिर यह दिखाता है कि सरकार हमारे सबसे कमजोरों के प्रति पूरी तरह असंवेदनशील है।' उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'कांग्रेस पार्टी इस दिव्यांग कर को पूरी तरह से वापस लेने की मांग करती है क्योंकि इससे हमारे लाखों दिव्यांग लोगों के लिए मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।'