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एक साथ चुनाव कराने संबंधी विधेयक राजनीतिक स्थिरता और देश की प्रगति करेंगे सुनिश्चित: एनडीए नेता

केंद्रीय मंत्रियों समेत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के नेताओं ने मंगलवार को कहा कि एक साथ...
एक साथ चुनाव कराने संबंधी विधेयक राजनीतिक स्थिरता और देश की प्रगति करेंगे सुनिश्चित: एनडीए नेता

केंद्रीय मंत्रियों समेत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के नेताओं ने मंगलवार को कहा कि एक साथ चुनाव कराने संबंधी विधेयक देश में "राजनीतिक स्थिरता" सुनिश्चित करने के लिए लाए गए हैं, न कि राज्य विधानसभाओं या सरकारों के किसी अधिकार को छीनने के लिए।

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में दो विधेयक पेश किए, जिनमें देश में एक साथ चुनाव कराने की व्यवस्था है। विपक्ष ने मसौदा कानूनों को संविधान के मूल ढांचे और देश के संघीय ढांचे पर हमला बताया।

वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दोनों विधेयकों को पेश किए जाने को "ऐतिहासिक दिन" बताया और कहा कि देश में एक साथ चुनाव कराने का मुद्दा दो दशकों से लंबित है, जबकि चुनाव आयोग, विधि आयोग और राजनीतिक विचारकों ने कई बार इसकी सिफारिश की है।

प्रसाद ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, "यह बार-बार उठता रहा है कि देश में राजनीतिक स्थिरता के लिए (पांच साल में एक बार) चुनाव कराए जाने चाहिए।" उन्होंने कहा, "इस समय देश हमेशा चुनावों के चक्र के इर्द-गिर्द घूम रहा है।" भाजपा नेता ने विपक्ष के इस आरोप को "निराधार और अतार्किक" बताते हुए खारिज कर दिया कि एक साथ चुनाव कराने संबंधी विधेयक देश के संघीय ढांचे पर हमला है।

उन्होंने कहा, "यह संघीय सिद्धांत का जरा भी उल्लंघन नहीं है।" उन्होंने पूछा, "उनका क्या मतलब है? राज्य विधानसभा चुनाव नहीं होंगे? उनकी सरकारें नहीं बनेंगी?" उन्होंने कहा कि उनके तर्क में कोई तर्क नहीं है। कांग्रेस द्वारा यह कहे जाने पर कि लोकसभा में विधेयकों पर मतदान से पता चलता है कि सत्तारूढ़ भाजपा के पास संविधान संशोधन पारित करने के लिए आवश्यक दो-तिहाई बहुमत नहीं है, प्रसाद ने कहा, "अगर कोई संविधान को नहीं समझता है तो मैं क्या कर सकता हूं।"

उन्होंने कहा, "(संसद में) विधेयकों के पारित होने के समय दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी... हमारे पास (पर्याप्त संख्या) है। हम इसे करके दिखाएंगे। बहुत सी चीजें (विधेयक) पारित हो चुकी हैं।" केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने संबंधी दोनों विधेयक "देश और इसकी प्रगति के सर्वोत्तम हित में" लाए गए हैं, और उन्होंने विपक्षी दलों पर प्रस्तावित कानून पर देश को "गुमराह" करने का आरोप लगाया।

उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले कई वर्षों से चुनाव एक साथ होते रहे हैं, लेकिन कांग्रेस द्वारा संविधान के प्रावधानों का दुरुपयोग करने की "बीमारी" पकड़ लेने और अन्य दलों द्वारा शासित राज्यों में विधानसभाओं को भंग करने के बाद यह बदल गया। उन्होंने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, "चुनाव आयोग और विधि आयोग ने बार-बार इसकी (एक साथ चुनाव) सिफारिश की है। यह देश के सर्वोत्तम हित में है।" मंत्री ने सभी राजनीतिक दलों से सुझाव लेकर आगे आने और संसद में दोनों विधेयकों का समर्थन करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा, "केवल इसका विरोध करने के लिए विधेयकों पर आपत्ति उठाना सही नहीं है।" उन्होंने विपक्षी दलों से पूछा, "क्या हम राज्य विधानसभाओं या राज्य सरकारों की शक्तियों में कटौती कर रहे हैं?" मंत्री ने कहा, "एक साथ चुनाव होंगे और आपके अधिकार बरकरार रहेंगे... आप गुमराह क्यों कर रहे हैं? संघीय ढांचे का मुद्दा तब उठता है जब हम राज्यों के किसी अधिकार का उल्लंघन करते हैं।"

केंद्रीय मंत्री और जेडी(यू) के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन सिंह ने जोर देकर कहा कि दोनों विधेयक न तो "किसी भी तरह से" असंवैधानिक हैं और न ही देश के संघीय ढांचे पर कोई हमला है। उन्होंने कहा कि देश में पहले भी एक साथ चुनाव हुए हैं। मंत्री ने कहा कि यह सिलसिला टूट गया और राज्य विधानसभाओं के भंग होने और राज्य सरकारों के गिरने के साथ मध्यावधि चुनाव होने लगे।

सिंह ने संसद परिसर में पीटीआई से कहा, "यह (एक साथ चुनाव संबंधी विधेयक) किसी भी तरह से असंवैधानिक नहीं है। संघीय ढांचे पर कहीं भी कोई हमला नहीं है। यह संविधान है जो संसद को इसे संशोधित करने का अधिकार देता है।" उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव संबंधी दोनों विधेयकों के पारित होने से नेताओं के दल बदलने जैसी चुनावी गड़बड़ियों पर लगाम लगेगी।

केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने विधेयकों का समर्थन किया और कहा कि देश में विकास की गति को बनाए रखने के लिए एक साथ चुनाव कराना "आवश्यक" है। संसद परिसर में संवाददाताओं से उन्होंने कहा, "संसद को देश की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। पूरा देश, खासकर युवा, यह चाहते हैं। हम नहीं चाहते कि देश में हर दो महीने में चुनाव हों।" पासवान ने विपक्ष के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि विधेयक पारित होने पर क्षेत्रीय दल खत्म हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश में तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने राज्य विधानसभा चुनाव जीता है, जो लोकसभा के साथ ही हुए थे।

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