कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को 'मसखरा शहजादा' बताए जाने पर पलटवार करते हुए कांग्रेस ने गुरुवार को आरोप लगाया कि अरुण जेटली 'मोदी सल्तनत के दरबारी विदूषक' बने रहने के लिए बेताब हैं।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि वित्त मंत्री को विपक्ष के बारे में ऐसी भाषा का इस्तेमाल करने की बजाय असल मुद्दों पर जवाब देना चाहिए।
वित्त मंत्री के हमले पर पलटवार करते हुए सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, 'जेटली 'मोदी सल्तनत के दरबारी विदूषक' बने रहने के लिए बेताब हैं। अभ्रद भाषा बोलना और ध्यान भटकाने का प्रयास हो रहा है'।
उन्होंने कहा, 'अपशब्दों के आवरण में छिपने की बजाय वित्त मंत्री को राजनीतिक रूप से प्रासंगिक मुद्दों पर सवालों के जवाब देने चाहिए।' सुरजेवाला ने सवाल किया, 'जब राफेल मामले में घिर गए और फंस गए तो अपशब्दों के पीछे क्यों छिपना? कुछ सांठगांठ वाले उद्योगपतियों को 30 हजार करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स को दरकिनार क्यों किया?' कांग्रेस नेता ने पूछा, '126 राफेल विमानों की बजाय 36 विमान खरीदकर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता क्यों किया गया।'
जेटली ने राहुल को बताया था 'मसखरा शहजादा'
दरअसल, जेटली ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए उन्हें 'मसखरा शहजादा' बताया और कहा कि वह मोदी सरकार द्वारा 15 उद्योगपतियों का 2.5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने के बारे में 'झूठ' बोल रहे हैं।
फेसबुक पर एक लेख में वित्त मंत्री जेटली ने कहा है कि एक परिपक्व लोकतंत्र में जो झूठ के सहारे रहते हैं वह सार्वजनिक जीवन के लिए फिट नहीं बैठते हैं। जेटली ने अपने इस लेख का शीर्षक दिया है- ‘मसखरे शहजादे का झूठ।’
जानें अपने पोस्ट में क्या बोले जेटली
वित्त मंत्री ने अपने पोस्ट में लिखा है कि आपने राफेल सौदे पर झूठ बोला, आपने बैंकों के एनपीए पर झूठ बोला. तथ्यों को तोड़ने मरोड़ने की आप की प्रवृत्ति से एक वैध प्रश्न खड़ा होता है कि क्या ऐसे लोग जिनकी स्वाभाविक वरीयता झूठ फैलाना है, क्या वे सार्वजनिक संवाद में शामिल होने लायक हैं?’
जेटली ने आगे कहा है, ‘सार्वजनिक संवाद एक गंभीर विषय है। यह काई चुटकुलेबाजी की प्रतियोगिता नहीं है। आप इसे गले मिलने, आंख मारने और यहा बार बार झूठ बोलने जैसी हरकतों के स्तर तक नहीं ले जा सकते। दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश को इस बारे में गंभीरता के साथ सोचना होगा कि क्या सार्वजनिक बहसों को किसी मसखरे शहजादे की झूठी बातों से प्रदूषित करने की छूट दी जानी चाहिए।’