कर्नाटक में जारी सियासी उठा-पटक के बीच गुरुवार 18 जुलाई को कुमारस्वामी सरकार को लेकर विश्वास मत पर चर्चा होगी। लोकसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में ये फैसला लिया गया है। कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया ने कहा कि विश्वास मत पर चर्चा गुरुवार को 11 बजे से विधानसभा (विधानसौंध) में होगी। इस बीच मंगलवार को बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा।
हमारे 105 विधायक एक साथ: भाजपा
वहीं, भाजपा नेता सुरेश कुमार ने कहा है कि अब ये कर्नाटक के मुख्यमंत्री पर निर्भर है कि वे विधानसभा में बहुमत साबित करें। सुरेश कुमार ने कहा कि सीएम ने खुद कहा था कि स्पीकर विश्वास मत परीक्षण के लिए समय निर्धारित करें। उन्होंने कहा कि अब सबसे पहले विश्वास मत परीक्षण होना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि हमारे सभी 105 विधायक एक साथ हैं।
विश्वास मत में ये हो सकती हैं परिस्थितियां
पिछले कई दिनों से अपने बागी विधायकों को मनाने का प्रयास कर रही कांग्रेस को कोई सफलता नहीं मिलती दिख रही है। इसके बाद सबकी नजरें राज्य विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार पर टिक गई हैं कि क्या वह विश्वास मत पर वोटिंग कराएंगे।
इससे पहले कुमारस्वामी ने कहा था कि वह विश्वास मत के लिए तैयार हैं। उधर, कुमारस्वामी की इसी कोशिश को देखते हुए बीजेपी ने विधानसभा की कार्यवाही नहीं चलने देने का फैसला किया है। बीजेपी तत्काल विश्वास मत पर वोट कराने की मांग कर रही है।
विश्वास मत प्रस्ताव के दौरान गिरेगी कुमारस्वामी सरकार?
विधानसभा अध्यक्ष अगर विश्वासमत पर वोटिंग करवाते हैं तो यह कुमारस्वामी सरकार को अंतिम झटका होगा। इस फैसले के बाद सीएम के पास अपने पद से इस्तीफा देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा। वह बिना विश्वास मत का सामना किए ही इस्तीफा दे सकते हैं या विधानसभा में भावुक भाषण देकर अपना पद छोड़ने की घोषणा कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विश्वास मत होने पर
सुप्रीम कोर्ट अगर स्पीकर को स्वतंत्रतापूर्वक काम करने की अनुमति देता है तो यह कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की मदद करेगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विधानसभा अध्यक्ष बागी विधायकों के इस्तीफे को या तो स्वीकार कर सकते हैं या खारिज कर सकते हैं। उनके पास दल-बदल विरोधी कानून के तहत कुछ विधायकों को अयोग्य घोषित करने की भी शक्ति है। इससे कुमारस्वामी सरकार चल सकती है क्योंकि राजनीतिक दल बागी विधायकों पर पार्टी लाइन पर चलने के लिए दबाव डाल सकते हैं।
यदि सुप्रीम कोर्ट सुनवाई टाल देता है तो
बागी विधायकों की याचिका पर अगर सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले को टाल देता है या उसे बड़ी बेंच को रिफर कर देता है तो कर्नाटक का संकट और लंबा खिंच सकता है। राज्यपाल, स्पीकर और राजनीतिक दल कोर्ट के अंतिम फैसले के आने तक इंतजार करने का खेल खेल सकते हैं। फैसला आने तक राज्य में प्रशासन उधेड़बुन में रह सकता है।
विधानसभा में वर्तमान स्थिति
कर्नाटक में सत्तारूढ़ गठबंधन में अध्यक्ष को छोड़कर कुल 116 विधायक (कांग्रेस के 78, जेडीएस के 37 और बीएसपी के 1) हैं। दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ 224 सदस्यीय सदन में बीजेपी के विधायकों की संख्या 107 है। बागी विधायकों का इस्तीफा मंजूर करने के भय के चलते कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। अगर 16 विधायकों के इस्तीफे मंजूर किए जाते हैं तो गठबंधन के विधायकों की संख्या घटकर 100 रह जाएगी। यही नहीं अगर कांग्रेस के दो और विधायक अगर इस्तीफा देते हैं तो उनकी संख्या 98 रह जाएगी।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    