प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन पर बन रही बॉयोपिक फिल्म “पीएम नरेंद्र मोदी” को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त को शिकायत दर्ज कराई गई है। शिकायत में कहा गया है कि आम चुनाव के दौरान इस फिल्म के जारी होने से आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होगा और निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराने में बाधा पैदा होगी। 47 पूर्व आइएएस अधिकारियों ने संगठन कॉस्टीट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप के बैनर तले आयोग को यह शिकायत भेजी है। ग्रुप ने चुनाव आयोग को भेजे पत्र में कहा है कि पहले यह फिल्म 12 अप्रैल को रिलीज होनी थी लेकिन अब इसे एक सप्ताह पहले यानी पांच अप्रैल को रिलीज किया जाना है।
भाजपा को मिल सकता है नाजायज फायदा
संगठन का कहना है कि चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद इस तरह की फिल्म जारी होने से न सिर्फ आचार संहिता का उल्लंघन है बल्कि इससे सत्ताधारी राजनीतिक दल भाजपा और नरेंद्र मोदी को चुनाव में नाजायज फायदा मिल सकता है। इस तरह यह फिल्म स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराने में बाधा भी डाल सकती है। चुनाव आयोग से मांग की गई है कि वह इस मामले की गहराई से जांच करे और आचार संहिता का उल्लंन पाए जाने पर आवश्यक कार्रवाई की जाए। पत्र मंल कहा गया है कि इस तरह की किसी भी जीवनगाथा जैसी फिल्म पर भी इसी तरह का कदम उठाया जाना चाहिए। इस तरह की खबरें है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीवन पर भी फिल्म बन रही है। हालांकि इसकी रिलीज की तारीख के बारे में जानकारी नहीं है। संगठन का कहना है कि अगर यह फिल्म भी रिलीज होती है तो आयोग को जांच करके कार्रवाई करनी चाहिए।
रिलीज पर रोक लगाए चुनाव आयोग
कहा गया है कि जैसे आयोग ने चुनाव के दौरान सोशल मीडिया की गतिविधियों को भी आचार संहिता में लाकर कदम उठाया है, उसी तरह ऐसी फिल्मों के सर्टिफिकेशन और रिलीज पर कदम उठाया जाना चाहिए। चुनाव आयोग को खासतौर पर इस पर ध्यान देना चाहिए कि चुनावी फायदे के लिए केंद्र व राज्यों में सत्ताधारी राजनीतिक दल अपने अधिकारों का नाजायज इस्तेमाल न करने पाएं। कंस्टीट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप के बयान के अनुसार जब आचार संहिता लागू होने के बाद सार्वजनिक उपक्रमों में नियुक्तियों पर भी रोक है, जीवनगाथा जैसे फिल्म में प्रधानमंत्री या किसी अन्य प्रत्याशी की भूमिका की खुलेआम वकालत और तारीफ किए जाने से पार्टी विशेष को अनुचित फायदा मिलेगा। प्रत्याशियों के हर तरह के चुनावी खर्च की गणना होती है, ऐसे में अगर किसी राजनेता पर को फिल्म बनती है तो उसका खर्च भी चुनाव खर्च में मानकर गणना की जानी चाहिए। चुनाव आयोग से मांग की गई है कि इस समय यह फिल्म रिलीज करने के पीछे चुनावी उद्देश्य को छोड़कर अन्य कोई अनिवार्यता नहीं हो सकती है। इस फिल्म के किसी भी रूप में रिलीज होने पर चुनाव संपन्न होने तक रोक लगाने के लिए आयोग को निर्देश देना चाहिए। गौरतलब है कि यह बॉयोपिक फिल्म ओमंग कुमार के निर्देशन में बन रही है। फिल्म अभिनेता विवेक ओबेरॉय प्रधानमंत्री की भूमिका निभा रहे हैं।
फिल्म निर्माताओं को दिल्ली निर्वाचन कार्यालय से नोटिस
सोमवार को दिल्ली के मुख्य निर्वाचन कार्यालय ने कहा था कि मोदी पर बन रही फिल्म के निर्माताओं के जवाब का इंतजार है। पूर्वी दिल्ली के निर्वाचन अधिकारी ने फिल्म के विज्ञापन प्रकाशन के लिए प्रोडक्शन हाउस, म्यूजिक कंपनी और दो समाचार पत्रों को 20 मार्च को स्वत: नोटिस जारी किये थे। फिल्म के विज्ञापन प्रकाशन को आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन के रूप में देखा जा रहा है। दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी रणबीर सिंह ने बताया कि संबंधित पक्षों को जवाब देने के लिए 30 मार्च तक का समय दिया गया है। चुनावी माहौल में फिल्म को पहले रिलीज करने के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। हालांकि फिल्म के निर्माताओं ने कहा है कि यह उन्होंने पब्लिक डिमांड पर बनाई है।