दो दिवसीय दौरे पर मणिपुर गए विपक्षी गठबंधन INDIA के प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को पीएम मोदी पर यह कहते हुए निशाना साधा कि पिछले करीब तीन महीने से पूर्वोत्तर राज्य में जारी जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में सरकारी तंत्र बुरी तरह धराशायी हो गया है। उन्होंने पीएम मोदी पर कथित रूप से उनकी "चुप्पी" और "निर्लज्ज उदासीनता" के लिए हमला बोला।
विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के प्रतिनिधिमंडल ने आज रविवार को मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से भेंट कर उन्हें एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें उनसे सभी प्रभावी कदम उठाते हुए शांति और सद्भाव बहाल करने का अनुरोध किया गया है।
ज्ञापन में कहा गया है, "आपसे यह भी अनुरोध है कि आप केंद्र सरकार को पिछले 89 दिनों से मणिपुर में कानून-व्यवस्था के पूरी तरह से खराब होने के बारे में अवगत कराएं ताकि उन्हें शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए मणिपुर में अनिश्चित स्थिति में हस्तक्षेप करने में सक्षम बनाया जा सके।"
विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के प्रतिनिधिमंडल ने आज मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उनसे सभी प्रभावी कदम उठाते हुए शांति और सद्भाव बहाल करने का अनुरोध किया गया।
ज्ञापन में कहा गया है, "आपसे यह भी अनुरोध है कि आप केंद्र सरकार को पिछले 89 दिनों से मणिपुर… pic.twitter.com/EMxzmYRe6O
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 30, 2023
विपक्षी सांसदों ने कहा, "पिछले तीन महीनों से जारी इंटरनेट प्रतिबंध निराधार अफवाहों को बढ़ावा दे रहा है, जो समुदायों के बीच मौजूदा अविश्वास को बढ़ा रहा है। साथ ही माननीय प्रधानमंत्री जी की चुप्पी ने मणिपुर हिंसा को लेकर उनकी निर्लज्ज उदासीनता को दर्शाया है। सभी समुदायों में गुस्सा और अलगाव की भावना है और इसे बिना देर किए संबोधित किया जाना चाहिए।"
सांसदों ने राज्यपाल को बताया, "हम आपसे ईमानदारी से अनुरोध करते हैं कि सभी प्रभावी कदम उठाते हुए शांति और सद्भाव बहाल करें, जहां न्याय आधारशिला होनी चाहिए। शांति और सद्भाव लाने के लिए, प्रभावित व्यक्तियों का पुनर्वास और पुनर्स्थापन अत्यंत जरूरी है।"
ज्ञापन में इसपर ज़ोर दिया गया कि 140 से अधिक मौत (आधिकारिक आंकड़ों के हिसाब से 160 से भी ऊपर मौत), 500 से अधिक घायल लोग, 5000 से अधिक घरों का जलना और 60,000 से अधिक लोगों के आंतरिक विस्थापन से यह स्पष्ट है कि "केंद्र और राज्य सरकार दो समुदायों के जीवन और संपत्ति बचाने में असफल हुई हैं।"
अपने दो दिवसीय दौरे के बारे में बात करते हुए सांसदों ने ज्ञापन में कहा कि उन्होंने चुराचांदपुर, मोइरांग और इंफाल में राहत शिविरों का दौरा किया और वहां आश्रय ले रहे पीड़ितों और कैदियों से बातचीत की। उन्होंने कहा, "हम वास्तव में अभूतपूर्व हिंसा से प्रभावित व्यक्तियों की चिंताओं, अनिश्चितताओं, दर्द और दुखों की कहानियाँ सुनकर बहुत हैरान और दुखी हैं।"
ज्ञापन में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि राहत शिविरों में स्थिति दयनीय है, कम से कम, और प्राथमिकता के आधार पर बच्चों की विशेष देखभाल की आवश्यकता है। इसमें कहा गया है, "विभिन्न स्ट्रीम के छात्र अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं, जो राज्य और केंद्र सरकारों की प्राथमिकता होनी चाहिए।"
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ज्ञापन की एक कॉपी ट्विटर पर साझा करते हुए पीएम मोदी पर निशाना साधा और दावा किया कि मणिपुर के लोगों के गुस्से, चिंता, पीड़ा, दर्द और दुख से उन्हें "बिल्कुल कोई फर्क नहीं पड़ता"। "जब वह अपनी आवाज सुनने और करोड़ों भारतीयों पर अपने 'मन की बात' थोपने में व्यस्त हैं, तब टीम इंडिया का 21 एमपी प्रतिनिधिमंडल मणिपुर के राज्यपाल के साथ मणिपुर की बात कर रहा है।
The anger, anxiety, anguish, pain and sorrow of the people of Manipur seem to make absolutely no difference to the Prime Minister. While he is busy listening to his own voice and forcing down his ‘Mann ki Baat’ on crores of Indians, the 21 MP delegation of Team INDIA is talking… pic.twitter.com/vE0WkheCet
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 30, 2023
विपक्षी गठबंधन के प्रतिनिधिमंडल में अधीर रंजन चौधरी और लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता, गौरव गोगोई के अलावा सुष्मिता देव (टीएमसी), महुआ माजी (जेएमएम), कनिमोझी करुणानिधि (डीएमके), पी पी मोहम्मद फैजल (एनसीपी), चौधरी जयंत सिंह (आरएलडी), मनोज कुमार झा (आरजेडी), एन के प्रेमचंद्रन (आरएसपी) और टी तिरुमावलवन (वीसीके) शामिल हैं।
साथ ही जद (यू) प्रमुख राजीव रंजन (ललन) सिंह और उनकी पार्टी के सहयोगी अनिल प्रसाद हेगड़े, सीपीआई के संतोष कुमार, सीपीआई (एम) के ए ए रहीम, एसपी के जावेद अली खान, आईयूएमएल के ई टी मोहम्मद बशीर, आप के सुशील गुप्ता, वीसीके के डी रविकुमार और अरविंद सावंत (शिवसेना-यूबीटी), और कांग्रेस की फूलो देवी नेताम और के सुरेश भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे।
दरअसल, मेइती समुदाय की "अनुसूचित जनजाति दर्जे" की मांग के विरोध में तीन मई को मणिपुर के पहाड़ी जिलों में निकाले गए "आदिवासी एकजुटता मार्च" में पहली बार हिंसा भड़की थी। इसके बाद अनेकों हिंसात्मक घटनाओं में अबतक, 160 से भी अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि कई लोग घायल भी हुए।
गौरतलब है कि मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी इलाकों में रहते हैं।