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राहुल गांधी ने आधिकारिक रूप से कांग्रेस अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा, फिलहाल पद पर बने रहेंगे

अपने रुख पर कायम रहते हुए राहुल गांधी ने इस बार आधिकारिक रूप से इस्तीफा देते हुए कहा है कि मैं अब पार्टी...
राहुल गांधी ने आधिकारिक रूप से कांग्रेस अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा, फिलहाल पद पर बने रहेंगे

अपने रुख पर कायम रहते हुए राहुल गांधी ने इस बार आधिकारिक रूप से इस्तीफा देते हुए कहा है कि मैं अब पार्टी का अध्यक्ष नहीं हूं। राहुल गांधी के ट्विटर अकांउट बायो से भी ‘कांग्रेस अध्यक्ष’ हटा लिया गया है और इसकी जगह 'कांग्रेस सदस्य' लिख दिया गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी मेरी है। उन्होंने कहा, 'पार्टी को नये अध्यक्ष के बारे में देर किए बिना फैसला करना चाहिए। मैं इस प्रक्रिया में कहीं नहीं हूं। मैंने पहले ही अपना इस्तीफा सौंप दिया है और मैं अब पार्टी का अध्यक्ष नहीं हूं। कांग्रेस वर्किंग कमेटी को जल्द ही  बैठक बुलानी चाहिए और इस पर फैसला करना चाहिए।‘

वहीं, कांग्रेस वर्किंग कमेटी द्वारा इस्तीफा स्वीकार करने तक राहुल गांधी अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे।

राहुल गांधी ने जारी किया बयान

साथ ही राहुल गांधी ने ट्विटर पर चार पन्नों का एक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की सेवा करना मेरे लिए गर्व का विषय है, जिसके मूल्यों और आदर्शों ने हमारे खूबसूरत देश के लिए रक्तसंचार का काम किया है। मेरे और मेरे संगठन के ऊपर इस देश के असीम प्यार का ऋण है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते मैं लोकसभा चुनाव 2019 में हार का जिम्मेदार हूं। हमारी पार्टी के विकास के लिए जवाबदेही बहुत जरूरी है। इसी वजह से मैंने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया।

'मैं कांग्रेस का सिपाही और भारत का समर्पित बेटा'

राहुल गांधी ने कहा कि पार्टी को दोबारा खड़ा करने के लिए कड़े फैसलों की जरूरत होती है और 2019 की नाकामी के लिए बहुत से लोग जवाबदेह होंगे। ये अन्याय होगा कि दूसरों को जवाबदेह माना जाए लेकिन मेरी अध्यक्ष के तौर पर जवाबदेही को अनदेखा किया जाए।

उन्होंने लिखा कि मेरे कई सहयोगियों ने सुझाव दिया है कि मैं अगला कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त करूं। हालांकि किसी नये के लिए पार्टी का नेतृत्व करना महत्वपूर्ण है लेकिन यह सही नहीं होगा कि मैं उस व्यक्ति का चुनाव करूं। हमारी पार्टी का संघर्ष और गौरव का एक गहन इतिहास और विरासत है जिसका मैं सम्मान करता हूं। यह भारत के फैब्रिक में गुंथा हुआ है और मुझे विश्वास है कि हमारी पार्टी बेहतर फैसला करेगी कि कौन साहस, प्रेम और सत्यनिष्ठा के साथ हमारा नेतृत्व कर सकता है।

गांधी ने कहा कि इस्तीफे के तुरंत बाद मैंने कांग्रेस वर्किंग कमेटी के अपने सहयोगियों को सुझाव दिया कि आगे बढ़ने का एक रास्ता यह होगा कि एक समूह पर बनाया जाए जो नए अध्यक्ष की तलाश करे। मैंने उन्हें ऐसा करने की शक्ति दी है और इस प्रक्रिया में अपने पूरे समर्थन का भरोसा दिया है। मैं कांग्रेस का वफादार सिपाही हूं और भारत का समर्पित सपूत हूं और मैं इन्हें बचाने के लिए अपनी आखिरी सांस तक सेवा करता रहूंगा।

'बीजेपी के लिए कोई नफरत नहीं'

राहुल गांधी ने कहा कि उनकी लड़ाई कभी भी सत्ता के लिए साधारण लड़ाई नहीं रही। उन्होंने कहा, 'मेरे मन में बीजेपी के खिलाफ कोई नफरत नहीं है, लेकिन मेरे शरीर का कतरा-कतरा उनके विचारों का विरोध करता है। यह आज की लड़ाई नहीं है। यह बरसों से चली आ रही है। वे भिन्नता देखते हैं और मैं समानता देखता हूं। वे नफरत देखते हैं, मैं प्रेम देखता हूं। वे डर देखते हैं, मैं गले लगना देखता हूं।'

राहुल गांधी ने कहा, 'हमने मजबूत और सम्मानपूर्वक चुनाव लड़ा। हमारा चुनाव अभियान भाईचारे, सहिष्णुता और देश के सभी लोगों, धर्मों और सम्प्रदायों को सम्मान करने को लेकर था। मैंने व्यक्तिगत तौर पर पीएम और आरएसएस के खिलाफ लड़ाई की। मैंने यह लड़ाई इसलिए लड़ी क्योंकि मैं भारत से प्यार करता हूं। और मैं भारत के आदर्शों के लिए लड़ा। मैंने अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से काफी कुछ सीखा है।' 

संस्थानों पर उठाया सवाल

राहुल गांधी ने कहा, 'एक स्वतंत्र चुनाव के लिए सभी संस्थानों का निष्पक्ष होना जरूरी है। कोई भी चुनाव फ्री प्रेस, स्वतंत्र न्यायपालिका और पारदर्शी चुनाव आयोग के बगैर निष्पक्ष नहीं हो सकता है। और यदि किसी एक पार्टी का वित्तीय संसाधानों पर पूरी तरह वर्चस्व हो तो भी चुनाव निष्पक्ष नहीं हो सकता है। हमने 2019 में किसी एक पार्टी के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ा। बल्कि हमने विपक्ष के खिलाफ काम करने रहे हर संस्थान और सरकार की पूरी मशीनरी के खिलाफ चुनाव लड़ा है। यह सब पूरी तरह साफ हो गया है कि हमारे संस्थानों की निष्पक्षता अब बाकी नहीं है।देश के संस्थानों पर कब्जा करने का आरएसएस का सपना अब पूरा हो चुका है। हमारे देश का लोकतंत्र अब कमजोर हो रहा है। यह देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है।'

राहुल गांधी ने कहा, 'इस सत्ताधिकार का नतीजा यह होगा कि हिंसा का स्तर काफी ऊपर होगा और देश के लिए सिर्फ दर्द होगा। किसान, बेरोजगार युवा, महिलाएं, आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यकों को सबसे ज्यादा भुगतना होगा। देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और देश के सम्मान से समझौता होगा। पीएम मोदी की जीत का मतलब यह नहीं है कि उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप भी धुल गए हैं। पैसे और झूठ की ताकत से सच की रोशनी को कमजोर नहीं किया जा सकता है।'

राहुल ने कहा, 'पार्टी को बड़ी उपलब्धि हासिल करने के लिए बड़े परिवर्तन करने होंगे। आज बीजेपी पूरी प्रक्रिया के तहत भारत के लोगों की आवाज दबा रही है। कांग्रेस पार्टी की यह जिम्मेदारी है कि इसकी रक्षा करे। भारत कभी सिर्फ एक आवाज नहीं था और न ही होगा। यह हमेशा बहुत सी आवाजों का मिश्रण होगा। यही भारत माता का सच्चा एहसास है।'

राहुल गांधी ने अंत में लिखा, 'भारत और देश से बाहर हजारों भारतीयों का शुक्रिया, जिन्होंने मुझे मेरे समर्थन में पत्र लिखे। मैं निश्चित तौर पर अपनी पूरी ताकत से कांग्रेस पार्टी के आदर्शों के लिए लड़ता रहूंगा। जब भी पार्टी को मेरी जरूरत होगी मैं मौजूद रहूंगा। '

राहुल गांधी का पूरा बयान-

कार्यकर्ताओं और नेताओं ने की थी इस्तीफा वापस लेने की अपील

इससे पहले कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पार्टी मुख्यालय में राहुल गांधी के इस्तीफे के खिलाफ धरना दिया था। इस धरने में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और अहमद पटेल भी शामिल हुए थे। कांग्रेस के बड़े नेता उन्हें लगातार मनाने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मांग है कि हार की जिम्मेदारी सामूहिक है, इसलिए राहुल गांधी हार के लिए खुद को जिम्मेदार न मानें।

कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों के साथ राहुल ने की थी बैठक

इससे पहले राहुल गांधी ने कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की थी। इसमें पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री नारायणसामी मौजूद थे।

राहुल से फैसले पर दोबारा विचार करने की अपील

बैठक में सभी मुख्यमंत्रियों ने राहुल गांधी से इस्तीफा देने के फैसले को वापस लेने की अपील की थी। लेकिन राहुल गांधी अपने फैसले पर अटल नजर आए। करीब 90 मिनट तक चली बैठक में अशोक गहलोत ने अन्य मुख्यमंत्रियों की तरफ से बात रखते हुए राहुल गांधी से अपने फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए कहा था।

बाद में गहलोत ने मीडिया से कहा था कि हमने अपनी भावनाओं से राहुल गांधी को अवगत करा दिया है। उन्होंने हमें बहुत ध्यानपूर्वक सुना और हमारा मानना है कि वह सही समय पर सही फैसला लेंगे।

लगातार इस्तीफे पर अड़े रहे राहुल

लोकसभा परिणाम आने के बाद 21 मई को कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक हुई थी। इसमें राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया था। हालांकि सीडब्ल्यूसी ने उनके इस फैसले पर अंतिम मुहर नहीं लगाई थी। इसके बाद हाल ही में राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी के किसी पदाधिकारी की तरफ से इस्तीफे की पेशकश नहीं करने को लेकर नाराजगी जताई थी। इसके बाद पार्टी में एक के बाद एक इस्तीफे आने लगे।

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