आइएनएक्स मीडिया केस में चार पूर्व अधिकारियों को आरोपी बनाने पर 71 रिटायर्ड नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखा है और आरोप लगाया है कि राजनीतिक लाभ के लिए इस तरह की कार्रवाई की जा रही है।
इन शीर्ष अधिकारियों ने किए हस्ताक्षर
पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व कैबिनेट सचिव के. एम. चंद्रशेखर, पूर्व वित्त सचिव सुनील मित्रा और नरेंद्र सिसोदिया सहित शीर्ष रिटायर्ड अधिकारियों के हस्ताक्षर वाले पत्र में कहा गया है कि राजनीति फायदे के लिए रिटायर्ड और मौजूदा नौकरशाहों को चुन-चुनकर निशाना बनाए जाने पर चिंता जाहिर करने के लिए हम यह पत्र लिख रहे हैं। बीते चार अक्टूबर का यह पत्र केंद्र सरकार द्वारा सीबीआइ को अधिकारियों पर केस चलाने की अनुमति दिए जाने के बाद लिखा गया है। आइएनएक्स मामले में 2007 में फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआइपीबी) द्वारा विदेशी निवेश की अनुमति दी गई थी।
आइएनएक्स केस में ये अधिकारी आरोपी
रिटायर्ड नौकरशाहों ने दावा किया कि सिंधुश्री खुल्लर, अनूप पुजारी, प्रबोध सक्सेना और रबींद्र प्रसाद के खिलाफ केस चलाने से सेवारत अधिकारियों पर खतरनाक प्रभाव होगा। आइएनएक्स मीडिया केस में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को भी आरोपी बनाया गया है और इस समय वह तिहाड़ जेल में बद है क्योंकि आइएनएक्स मीडिया ग्रुप को विदेशी निवेश की अनुमति उनके ही कार्यकाल में दी गई थी।
राजनीतिक कारणों से अधिकारियों पर केस
पत्र में कहा गया है कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस मामले में उन अधिकारियों को आपराधिक मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है जबकि यह केस राजनीतिक कारणों से दायर किया गया है। इस पत्र में इटली और पुर्तगाल में भारतीय राजदूत रहे के. पी. फैबियन और मधु भादुड़ी, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के पूर्व डीजी शफी आलम ने भी हस्ताक्षर किए हैं।
अधिकारियों को फैसलों के लिए कोई सुरक्षा नहीं
पूर्व नौकरशाहों ने सरकार की नीतियों को सिर्फ लागू करने में भूमिका निभाने वाले चुनिंदा अधिकारियों को निशाना बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे अधिकारियों पर संदेह किए जाने की ही पुष्टि होती है। अधिकारियों को अपने कर्तव्यपालन के लिए लिए गए फैसलों के लिए कोई सुरक्षा ही नहीं है।
शांति से रिटायर्ड जीवन जीने दो
मांग की गई है कि वाजिब समय तय किया जाना चाहिए जिसके बाद किसी अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू नहीं हो सकती है। अधिकारियों खासकर रिटायर हो चुके नौकरशाहों को शांतिपूर्वक सेवानिवृत जीवन जीने का आश्वासन मिलना चाहिए।