जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दलों ने शनिवार को भारत और पाकिस्तान के बीच "संघर्ष विराम" का स्वागत किया और क्षेत्र में स्थायी शांति की उम्मीद जताई। जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने संघर्ष विराम का स्वागत करते हुए कहा कि देर आए दुरुस्त आए।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने घोषणा की कि भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) ने शनिवार शाम पांच बजे से जमीन, हवा और समुद्र पर सभी प्रकार की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति जताई है। विदेश सचिव की यह संक्षिप्त घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस बयान के तुरंत बाद आई जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका की मध्यस्थता में हुई वार्ता के बाद भारत और पाकिस्तान "पूर्ण और तत्काल युद्धविराम" पर सहमत हो गए हैं।
उमर अब्दुल्ला ने अपने आवास पर संवाददाताओं से कहा, "मैं भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम की बहाली के बारे में भारत सरकार के प्रवक्ता द्वारा की गई घोषणा का तहे दिल से स्वागत करता हूं।" उन्होंने कहा, "देर आए दुरुस्त आए, लेकिन यदि यह युद्ध विराम दो या तीन दिन पहले हो जाता, तो शायद जो रक्तपात हमने देखा और जो बहुमूल्य जानें हमने खोईं, वे सुरक्षित होतीं।"
अब्दुल्ला ने कहा कि अब यह जम्मू-कश्मीर सरकार का कर्तव्य है कि वह इस अवधि के दौरान पीड़ित लोगों को राहत और मुआवजा प्रदान करे। उन्होंने कहा, "हमने कीमती जीवन की हानि के लिए मुआवजे की घोषणा की है। अब हमें घायलों को भी मुआवजा देना होगा।"
मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू, पुंछ, राजौरी, तंगधार और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में सीमा पार से गोलाबारी और हमलों के कारण काफी तबाही हुई है। उन्होंने कहा, "अब हमें यह भी उम्मीद है कि हम हज उड़ानें फिर से शुरू कर सकेंगे, क्योंकि हवाईअड्डा बंद होने के कारण हम हज यात्रियों को नहीं भेज पा रहे थे।"
सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने भी संघर्ष विराम का स्वागत किया तथा शत्रुता समाप्त करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। पार्टी मुख्यालय नवा-ए-सुबहा से जारी एक बयान में, एनसी अध्यक्ष ने संघर्ष विराम के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया तथा इस बात को स्वीकार किया कि वर्तमान स्थिति के कारण क्षेत्र के लोगों और उनकी संपत्ति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।
उन्होंने कहा, "नियंत्रण रेखा और अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले हमारे लोगों को दोनों पड़ोसी देशों के बीच बिगड़ते हालात का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। इस कदम से हमारे उन लोगों की पीड़ा काफी हद तक कम हो जाएगी जो गोलीबारी में फंस गए हैं।"
अब्दुल्ला ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी पार्टी ने सदैव भारत और पाकिस्तान के बीच स्थायी मित्रता की वकालत की है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विश्वास की कमी को पाटने की प्राथमिक जिम्मेदारी पाकिस्तान की है, जिसे सीमापार आतंकवाद के संबंध में भारत की वास्तविक चिंताओं का समाधान करना होगा।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने संघर्ष विराम का स्वागत किया और कहा कि दोनों देशों को अपने मुद्दे सुलझाने चाहिए और स्थायी शांति स्थापित करने के तरीके ढूंढने चाहिए। मुफ्ती ने अपनी पार्टी द्वारा जारी एक वीडियो में कहा, "यह जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए अच्छी खबर है, जो पिछले कुछ दिनों से सीमा पार से हो रही गोलाबारी से पीड़ित हैं। मुझे यकीन है कि इस खबर से सीमा पार लोगों ने राहत की सांस ली होगी।"
उन्होंने कहा कि हालांकि आतंकवाद किसी को भी स्वीकार्य नहीं है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, लेकिन "आतंकवादियों को यह निर्धारित नहीं करना चाहिए कि भारत और पाकिस्तान के बीच कब युद्ध होना चाहिए या शांति होनी चाहिए।" उन्होंने कहा, "सैन्य समाधान कोई समाधान नहीं है। अंततः राजनीतिक हस्तक्षेप होना चाहिए।"
मुफ्ती ने कहा कि भारत को क्षेत्र में बड़े भाई की भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा, "हमारा देश बहुत बड़ा है, इसे न केवल पाकिस्तान के साथ बल्कि पूरे क्षेत्र के साथ बड़े भाई की भूमिका निभानी चाहिए ताकि स्थायी शांति हो और लोग समृद्ध हों।" पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि दोनों देश स्थायी शांति स्थापित करने के लिए अपने मतभेदों को सुलझाने का प्रयास करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि दोनों देश एक साथ बैठेंगे और अपने मुद्दों को सुलझाएंगे तथा आने वाले समय में स्थायी शांति स्थापित करने का रास्ता निकालेंगे - ऐसी शांति जो स्थायी हो और किसी घटना से प्रभावित न हो।’’ उन्होंने कहा, "मैं ट्रंप द्वारा दी गई खबर से बहुत खुश हूं। यह न केवल जम्मू-कश्मीर बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए शांति का संदेश लेकर आया है।"
वरिष्ठ माकपा नेता एम वाई तारिगामी ने भी संघर्ष विराम का स्वागत करते हुए कहा कि इससे दोनों पक्षों के लोगों को बड़ी राहत मिली है। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने कहा कि संघर्ष विराम की घोषणा एक स्वागत योग्य कदम है और हर जगह राहत की भावना है।
लोन ने कहा, "जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों के निवासियों ने बहुत कष्ट झेला है। आशा है कि वे अपना जीवन फिर से शुरू कर सकेंगे और हम एक समाज के रूप में उनकी सहायता करेंगे और उनके घरों को फिर से बनाने में उनकी मदद करेंगे।"
ऑल पार्टीज सिख कोऑर्डिनेशन कमेटी (एपीएससीसी) के अध्यक्ष जगमोहन सिंह रैना ने संघर्ष विराम को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम बताया और कहा कि यह निर्णय न केवल सीमा पर शांति स्थापित करने में मदद करेगा, बल्कि दोनों देशों के लोगों के बीच विश्वास बहाल करने का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। रैना ने दोनों देशों के नेतृत्व से सभी लंबित मुद्दों को बातचीत के जरिए सुलझाने की अपील की।