झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संताल विद्रोह के शहीद, नायक सिद्धो कान्हो के वंशज रामेश्वर मुर्मू की मौत की सीबीआइ से जांच की सिफारिश की है। रामेश्वर, सिद्धो कान्हो की छठी पीढ़ी के वंशज थे। बीते 12 जून को साहिबगंज जिला के भोगनाडीह स्थित अपने आवास के करीब खेत में मृत पाये गये थे। यह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बरहेट विधानसभा क्षेत्र के अधीन का इलाका है। विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक संगठनों द्वारा सीबीआइ जांच की मांग की जा रही थी। उसी आलोक में पुलिस महानिदेशक ने सीबीआइ जांच के लिए मुख्यमंत्री को प्रस्ताव बढ़ाया था जिसे मुख्यमंत्री ने मंजूरी दे दी।
अस्वाभाविक मौत के सिलसिले में 17 जून को परिजनों ने बरहेट थाना में भोगनाडीह के ही सद्दाम अंसारी के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। जिसमें कहा गया था कि मौत के एक दिन पहले ही सद्दाम द्वारा एक आदिवासी युवति के साथ छेड़खानी का रामेश्वर मुर्मू ने विरोध किया था। तब सद्दाम ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी। वहीं पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हवाले परिवार के मंडल मुर्मू को बताया था कि अधिक शराब पीने के कारण रामेश्वर की मौत हुई है। इसके बाद विपक्ष सहित आदिवासी संगठनों में उबाल आ गया था। धरना-प्रदर्श हो रहे थे। पूरे मामले की सीबीआइ से जांच की मांग की जा रही थी। विवाद बढ़ने के बाद बीते 30 जून को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड के पुलिस महानिदेशक को तलब कर पूरे मामले की जानकारी ली थी।
इसी सप्ताह जनता दल यू के प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू भी भोगनाडीह जाकर पीड़ित परिवार से मिले और रामेश्वर मुर्मू की पत्नी कपरो मुर्मू को दस हजार रुपये देते हुए एक साल तक मदद और बच्चों की पढ़ाई में मदद का वादा किया था। मुख्यमंत्री की आलोचना की थी कि उनके विधानसभा क्षेत्र का मामला होने के बावजूद मुख्यमंत्री रामेश्वर के परिजनों से मिलने तक नहीं आये। मुख्यमंत्री द्वारा छोड़ी गई दूसरी सीट, दुमका विधानसभा पर कम समय में ही उप चुनाव होना है। ऐसे में सिद्धो कान्हो के वंशज की उपेक्षा का मामला नुकसान पहुंचा सकता था।