जंग ने यह भी कहा है कि वह पहले ही अपना पद छोड़ना चाहते थे लेकिन प्रधानमंत्री ने उनसे पद पर बने रहने को कहा था और उन्होंने पीएम का अनुरोध मान लिया था। जंग करीब साढ़े ग्यारह बजे यहां साउथ ब्लॉक स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचे और वह वहां करीब एक घंटे तक रूके। सूत्रों ने बताया कि यह शिष्टाचार भेंट थी। कल जंग ने अपने संक्षिप्त इस्तीफा बयान में मोदी को उनकी मदद एवं सहयोग के लिए धन्यवाद दिया था।
कांग्रेस ने कल जंग के इस्तीफे के पीछे किसी प्रकार के दबाव का संकेत दिया था मगर इन अटकलों को जंग ने खारिज कर दिया है। एनडीटीवी के अनुसार उन्होंने कहा कि उनके फैसले के पीछे कोई राजनीति नहीं है और वह पहले ही पद छोड़ना चाहते थे। इस चैनल के अनुसार, जंग ने कहा, मैंने इस्तीफे की पेशकश की थी क्योंकि मुझे पिछली संप्रग सरकार ने नियुक्त किया था लेकिन प्रधानमंत्री ने मुझसे पद पर बने रहने को कहा। तीन साल बाद मैंने प्रधानमंत्री से मुझे पद से मुक्त करने का अनुरोध किया लेकिन उन्होंने (फिर) मुझे पद पर बने रहने को कहा।
जंग ने कहा, करीब साढ़े तीन साल बाद मैंने मंगलवार को फिर प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि मैं निजी वजहों से इस्तीफा देना चाहूंगा। जंग ने कहा कि वह पुस्तक लिखना चाहेंगे। पिछले दो सालों में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जंग पर मोदी से उनकी नजदीकी की धारणा के आधार पर बार-बार प्रहार कर चुके हैं। पहले दिन में केजरीवाल ने नाश्ते पर जंग से मुलाकात की। उस दौरान जंग ने शहर के शासन के सिलसिले में दो साल के आपसी संबंध की यादें ताजा की एवं अन्य मुद्दों पर चर्चा की। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें उपराज्यपाल ने नाश्ते पर भेंट के लिए बुलाया था। जंग के अपने पद से आकस्मिक इस्तीफे के एक दिन बाद दोनों के बीच यह भेंट हुई है।
सूत्रों के अनुसार जंग और केजरीवाल ने अपने खट्टे-मीठे संबंधों पर बातचीत की। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी जंग से मुलाकात की। जब केजरीवाल से जंग के इस्तीफे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, उन्होंने निजी वजहों से इस्तीफा दिया है। वैसे केजरीवाल ने कई मौकों पर जंग पर तीखा प्रहार किया लेकिन दोनों निजी स्तर पर मधुर संबंध के लिए जाने जाते हैं। (एजेंसी)