राजद्रोह कानून के उपयोग पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाई गई है। इस मामले पर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि हम कोर्ट और इसकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं, लेकिन एक लक्ष्ण रेखा (लाइन) है, जिसे सभी अंगों द्वारा अक्षरश: और भावना में सम्मान किया जाना चाहिए। अब रिजिजू के इस बयान पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने निशाना साधा है। उन्होंने रिजिजू पर पलटवार करते हुए कहा कि उनके पास किसी भी तरह की मनमानी लक्ष्मण रेखा खींचने का कोई अधिकार नहीं।
रिजिजू की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पी चिदंबरम ने कहा कि भारत के कानून मंत्री को संविधान के अनुच्छेद 13 को पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा, विधायिका कानून नहीं बना सकती है, न ही किसी कानून को कानून की किताब पर रहने दिया जा सकता है, जो मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। कई कानूनी विशेषज्ञों के विचार में राजद्रोह कानून संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 का उल्लंघन करता है।
चिदंबरम ने केंद्र सरकार पर भी इस मामले में निशाना साधा है। उन्होंने कहा, राजा के सभी घोड़े और राजा के सभी लोग उस कानून को नहीं बचा सकते।
क्या बोले थे रिजिजू
राजद्रोह कानून पर कोर्ट की रोक के बाद केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “हमने अपनी बातों को स्पष्ट कर दिया है और कोर्ट के सामने प्रधानमंत्री का इरादा भी बताया है। अब इसके बाद क्या होता है, ये मुझे नहीं पता लेकिन मैं ये कहना चाहता हूं कि हमें कोर्ट का सम्मान करना चाहिए।”
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, किरेन रिजिजू ने आगे कहा कि हमने अपनी स्थिति पूरी तरह साफ कर दी है। इसके साथ ही , प्रधानमंत्री मोदी की मंशा के बारे में भी कोर्ट को बता दिया है। हम कोर्ट और इसकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं, लेकिन एक लक्ष्ण रेखा (लाइन) है, जिसे सभी अंगों द्वारा अक्षरश: और भावना में सम्मान किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कांग्रेस ने किया स्वागत
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का कांग्रेस ने स्वागत किया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था, ''सच बोलना यदेशभक्ति है, देशद्रोह नहीं। सच कहना देश प्रेम है, देशद्रोह नहीं सच सुनना राजधर्म है, सच कुचलना राजहठ है। डरो मत!''
वहीं पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘सत्ता को आईना दिखाना राष्ट्रधर्म है। यह देश विरोधी नहीं हो सकता। उच्चतम न्यायालय ने आज यही स्पष्ट संदेश दिया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सत्ता के सिंहासन पर बैठे निरंकुश शासक, लोगों की आवाज कुचलने वाले निरंकुश राजा, जनविरोधी नीतियों की आलोचना करने पर लोगों को जेल में डालने वाले राजा अब जान लें कि जनता खड़ी हो चुकी है, अब जनता को दबाया नहीं जा सकता है।’’
सुरजेवाला के अनुसार, ‘‘कांग्रेस 2019 में यह कानून खत्म करना चाहती थी, आज उच्चतम न्यायालय की व्यवस्था से यह साबित हो गया कि हमारा रास्ता सही है।’’
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान साफतौर पर कहा कि केन्द्र सरकार इस पर दोबारा विचार करे और जब तक इस पर पुनर्विचार नहीं हो जाता है तब तक राजद्रोह कानून के तहत राज्य और केन्द्र सरकार इस धारा के तहत कोई नया केस दर्ज नहीं करे। इसके साथ ही, जिन लोगों पर राजद्रोह की धाराएं लगाई गई हैं वे जमानत के लिए कोर्ट जा सकते हैं।