टीवी प्रसारण के नियमों में झोल का ही नतीजा है कि बिना किसी अनुमति और लाइसेंस के रातोंरात न्यूज चैनल शुरू हो जाता है। यह चैनल है नमो टीवी जो बेरोकटोक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुणगान कर रहा है। यह टीवी चैनल 31 मार्च को अनायास शुरू हो गया। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय इसे वैल्यू एडेड सेवाओं के रूप में मार्केटिंग चैनल की संज्ञा देकर पल्ला झाड़ रहा है जबकि यह न्यूज और करेंट अफेयर्स का कंटेंट पेश कर रहा है। चुनावी सीजन में तूफान खड़ा करने वाला नमो टीवी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संक्षिप्त नाम पर रखा गया है और इसके लोगो में उनकी तस्वीर भी है। इस तरह प्रचार किए जाने के खिलाफ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग में शिकायत की है। आयोग ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से इस मामले में रिपोर्ट तलब की है।
बाकी प्रसारण प्रस्तावों पर सरकार की सख्ती
सबसे दिलचस्प बात यह है कि टीवी चैनल खासकर न्यूज चैनल के मामले में सरकार खासी सख्ती दिखाती है। सरकारी सूत्रों के अनुसार पिछले नौ महीनों में सिर्फ छह चैनलों को अनुमति दी गई। नए चैनल के लिए 130 प्रस्ताव लंबित हैं। ये चैनल बिना सरकारी अनुमति के शुरू नहीं हो सकते हैं लेकिन नमो टीवी आम चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद भी शुरू हो गया। यह चैनल टाटा स्काई और डिश टीवी समेत कई डीटीएच ऑपरेटर दिखा रहे हैं।
लाइसेंस नहीं है नमो टीवी के पास
मंत्रालय का कहना है कि नमो टीवी लाइसेंस प्राप्त चैनल नहीं है। वह विज्ञापन प्लेटफार्म है। चुनाव से महज दो सप्ताह पहले 31 मार्च को लांच इस चैनल पर राजनीतिक दलों ने कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि क्या आधार संहिता लागू होने के बाद कोई राजनीतिक दल नया टीवी चैनल शुरू कर सकता है। इस पर भी आश्चर्य जताया जा रहा है कि इस चैनल को लाइसेंस प्राप्त नहीं है, फिर भी डीटीएच और केबल ऑपरेटर इसे कैसे दिखा रहे हैं। भाजपा के ट्विटर हैंडल पर भी नमो टीवी की तस्वीर दिखाई दे रही है।
नियमों में अस्पष्टता का उठाया फायदा
वैसे तो नियम है कि कोई डीटीएच ऑपरेटर गैर लाइसेंस प्राप्त टीवी चैनल नहीं दिखा सकते हैं। एक नियमित लाइसेंस प्राप्त चैनल को ब्रॉडकास्टर सैटेलाइट पर अपलिंक करता है। इसके बाद डीटीएच और केबल ऑपरेटर उन्हें अपने प्लेटफार्म पर डाउनलोड करते हैं और ग्राहकों के टीवी तक पहुंचाते हैं। लेकिन रेगुलेशन में इस बात की अनुमति है कि डीटीएच ऑपरेटर वैल्यू एडेड सेवाएं दे सकते हैं। इसके लिए उन्हें लाइसेंस की आवश्यकता नहीं पड़ती है। एक विशेषज्ञ के अनुसार कोई भी डीटीएच ऑपरेटर कुकरी से लेकर मूवीज और शॉपिंग चैनल स्थानीय स्तर पर चलाते हैं। इन चैनलों के पास कोई लाइसेंस नहीं होता है। लाइसेंस प्राप्त चैनल सैटेलाइट के जरिये प्रसारित होते हैं। जबकि वैल्यू एडेड सेवाओं के तौर पर चलने वाले चैनल फाइबर कैबल पर प्रसारित होते हैं। इसलिए उन्हें लाइसेंस की जरूरत नहीं होती है। नमो टीवी की भी इसी श्रेणी में बिना लाइसेंस के चल रहा है।
कुकरी और मूवी के लोकल चैनल की तरह चलाया न्यूज चैनल
एक सवाल और है कि नमो टीवी कुकरी, मूवीज या शॉपिंग के तौर पर नहीं चल रहा है बल्कि यह न्यूज चैनल के तौर पर चल रहा है। इसमें प्रधानमंत्री मोदी के भाषण और भाजपा के दूसरे नेताओं के इंटरव्यू चलाए जा रहे हैं। इस वजह से यह चैनल न्यूज एंड करेंट अफेयर्स कैटागरी में संचालित हो रहा है। चूंकि न्यूज एंट करेंट अफेयर्स के चैनल जनमत को प्रभावित करते हैं और उनका राजनीतिक मायने होता है। लेकिन नमो टीवी वैल्यू एडेड सेवाओं के तौर पर विज्ञापन टीवी की तरह चलाया जा रहा है। नमो टीवी आइटी प्रोफेशनल और सीनियर राजनीतिक विश्लेषक पराग शाह ने शुरू किया है। वह मोदी के साथ उस समय काम कर चुके हैं जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
लाइसेंस की सिफारिश अभी तक ठंडे बस्ते में
ट्राई ने 2015 में मंत्रालय को सिफारिश की थी कि वैल्यू एडेड सेवाएं देने वाले ऑपरेटरों को भी सरकार से लाइसेंस का नियम होना चाहिए। लेकिन इस बारे में अभी तक कुछ भी नहीं हुआ है। एक जानकार ने कहा कि कुछ वैल्यू एडेड सेवाएं देने वाले का कटेंट वैसा ही है, जैसा लाइसेंस प्राप्त ब्राडकास्टर का होता है। इस तरह लाइसेंस व्यवस्था में भेदभाव पैदा हो जाता है।
2012 में गुजरात चुनाव के समय भी आया था नमो टीवी
इससे पहले 2012 में भी नमो टीवी चलाया गया था, जब गुजरात में राज्य विधानसभा के चनाव हुए थे। उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर मोदी ने इस चैनल में दिलचस्पी दिखाई थी ताकि चैनल के जरिये वह राज्य सरकार की नीतियों के बारे में आम लोगों को बता सकें। उस समय गुजरात के नेता और सरकारी अधिकारी इस चैनल के जरिये सरकार के कार्यों के बारे में बताते थे। हालांकि उस समय नमो टीवी का चुनाव में कोई फायदा मिला, इस पर लोगों को राय अलग-अलग रही।