संसद के मानसून सत्र से पहले सोमवार को 13 विपक्षी दलों ने रणनीति तय करने के लिए बैठक की। बैठक के बाद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने बताया कि यह पारंपरिक बैठक थी। इस दौरान सभी पार्टियों ने फैसला किया कि वे संसद के सत्र को चलते हुए देखना चाहते हैं। संसद का सत्र 18 जुलाई से शुरू होने वाला है।
आजाद ने कहा कि पिछली बार भी हम चाहते थे कि संसद को दोनों सदन चलें पर सरकार ने ऐसा नहीं होने दिया। कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार ने संसद नहीं चलने का सारा दोष हमारे मत्थे मढ़ दिया। इस बैठक में कांग्रेस की ओर से लोकसभा में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, गुलाम नबी आजाद, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार, सपा के रामगोपाल यादव आदि मौजूद थे।
दूसरी और सत्र से पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने मंगलवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक बुलाई है जिसमें वह सदन का कामकाज सुचारू रूप से चलाने पर चर्चा करेंगी। बैठक के बाद राजनीतिक दलों के नेताओं के लिए रात्रि भोज भी रखा गया है। लोकसभा सचिवालय के अनुसार, स्पीकर सत्र के सुचारू रूप से चलने और लंबित विधेयकों को पारित कराने के लिए दलों का सहयोगी मांगेंगी।
इससे पूर्व सत्र में हंगामे की आशंकाओं को देखते हुए सरकार ने विपक्षी दलों से तीन तलाक विधेयक, पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने संबंधी विधेयक, बलात्कार के दोषियों को सख्त दंड के प्रावधान वाले विधेयक समेत कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने में सहयोग मांगा है। संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि मानसून सत्र के लिए सूचीबद्ध विधेयक लोकहित के हैं और सरकार इन्हें पारित कराने के लिए विपक्षी दलों से सहयोग का आग्रह करती है।