संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से 10 अगस्त के बीच होगा। गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में सोमवार को इन तारीखों की सिफारिश की गई।
इस बात की जानकारी संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने दी है। इसमें 18 कार्य दिवस शामिल होंगे। सत्र के काफी हंगामेदार होने की आशंका है। विपक्ष इस सत्र में जम्मू कश्मीर में युद्ध विराम लागू करने और उससे पैदा हालात, पीडीपी-बीजेपी सरकार गिरने और आतंकवाद जैसे मुद्दे को उठाएगी। इसके अलावा विपक्ष किसान, दलित उत्पीड़न जैसे मसलों पर भी वह सत्तापक्ष को घेरने का प्रयास करेगी।
वहीं, आखिरी साल में प्रवेश कर चुकी नरेंद्र मोदी सरकार इस सत्र को अधिक से अधिक उपयोगी बनाने का प्रयास करेगी। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार संसद के इस मानसून सत्र में तीन तलाक विधेयक, ट्रांसजेंडर विधेयक और ओबीसी के लिए राष्ट्रीय आयोग को संवैधानिक दर्जा का विधेयक सकती है।
मानसून सत्र के बाद मौजूदा लोकसभा के शीत और बजट सत्र ही शेष रह जाएंगे। बजट सत्र के पहले हिस्से के बाद ही देश में लोकसभा चुनाव है। यानी नरेंद्र मोदी सरकार के पास कम संसदीय समय बचा है।
इससे पहले बजट सत्र पूरी तरह से विपक्ष के हंगामे के कारण पूरी तरह से धुल गया था जिसके चलते कई अहम विधेयक पास नहीं हो पाए थे। बजट सत्र में आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जे समेत कई अन्य मुद्दों को लेकर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था।