कर्नाटक में विधायकों के सामूहिक इस्तीफों के बाद कांग्रेस-जनता दल (सेक्युलर) की गठबंधन पर संकट छाने के बाद कांग्रेस मध्य प्रदेश में सतर्क हो गई है। पिछले 11 दिनों में मध्य प्रदेश के कांग्रेसी विधायकों की तीसरी बैठक बुधवार को हो सकती है। कांग्रेस कर्नाटक और गोवा जैसी दल-बदल की घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए मध्य प्रदेश में विधायकों को एकजुट रखने का प्रयास कर रही है।
विधायकों के पाला बदलने से कर्नाटक और गोवा में कांग्रेस को मुश्किल
कांग्रेस और जेडीएस के 16 विधायक कर्नाटक विधानसभा से इस्तीफे दे चुके हैं जबकि दो निर्दलीय विधायकों ने कर्नाटक सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। इसके चलते राज्य की कुमारस्वामी सरकार संकट में आ गई है। गोवा में कांग्रेस के दस विधायक पाला बदलकर सत्ताधारी भाजपा के साथ चले गए। इससे कांग्रेस और सिकुड़ गई जबकि भाजपा के नेतृत्व वाली गोवा सरकार को भारी समर्थन मिल गया। दस में तीन विधायकों को मंत्री बनाया गया है।
विधानसभा सत्र में एकजुटता चाहते हैं कमलनाथ
सूत्रों ने बताया कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ भोज पर अपनी पार्टी के विधायकों के साथ सहयोगी दलों जैसे समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के विधायकों की बैठक बुला सकते हैं। समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायकों को भी बुलाया जा सकता है। इस बैठक के आयोजन का उद्देश्य बुधवार को शुरू हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान वित्तीय मसलों पर मतदान के दौरान विधायकों को एकजुट रखना है।
पिछले हफ्ते में हुई थीं दो बैठकें
इसी तरह की बैठकें पिछले 7 और 11 जुलाई को भी बुलाई गई थी। 11 जुलाई की बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राहुल गांधी के खास सहयोगी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी हिस्सा लिया था। बसपा विधायक राम बई ने बताया कि उन्हें भी 17 जुलाई को मुख्यमंत्री निवास की ओर से बैठक का निमंत्रण मिला है। वह कांग्रेस के साथ हैं और कमलनाथ को पूरा समर्थन देते हैं।
भाजपा ने की थी विशेष सत्र बुलाने की मांग
विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव और राज्य भाजपा के प्रमुख राकेश सिंह ने 8 जुलाई की बैठक में अपने विधायकों को कह चुके हैं कि वे सदन में मौजूद रहें। भार्गव ने मई में मध्य प्रदेश के राज्यपाल को पत्र लिखकर सरकार के फ्लोर टेस्ट के लिए विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी। लोकसभा चुनाव में राज्य की 29 में से 28 सीटों पर जोरदार सफलता पाने के तुरंत बाद भाजपा ने यह मांग की थी।
राज्य सरकार सहयोगियों और निर्दलियों पर निर्भर
भार्गव ने बताया था कि भाजपा वित्तीय मामलों पर मत विभाजन की मांग करेगी। 230 सदस्यों वाली राज्य विधानसभा में कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं। राज्य की कमालनाथ सरकार को बसपा के दो और सपा के एक विधायक का भी समर्थन प्राप्त है। इसके अलावा चार निर्दलीय विधायकों का भी सरकार को समर्थन प्राप्त है। जबकि भाजपा के 109 विधायक हैं। पहले उसके 110 विधायक थे। लेकिन लोकसभा चुनाव में जीत के बाद एक विधायक ने इस्तीफा दे दिया था।