जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वो राज्य की विधानसभा को भंग करने के अपने फैसले को सही ठहराते हुए कह रहे हैं कि अगर दिल्ली की तरफ देखता तो सज्जाद लोन की सरकार उन्हें बनानी पड़ती। हालांकि बाद में अपने बयान से पलटते हुए उन्होंने कहा कि लोन को सीएम बनाने का दिल्ली की तरफ से कोई दबाव या दखल नहीं था।
मीडिया में आए वीडियो में राज्यपाल मलिक यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि अगर दिल्ली की तरफ देखता तो सज्जाद लोन की सरकार मुझे बनानी पड़ती और इतिहास में मैं बेईमान के तौर पर जाना जाता। लिहाजा मैंने उस मामले को ही खत्म कर दिया। अब जो गाली देंगे दें, लेकिन मैं संतुष्ट हूं कि मैंने ठीक काम किया। यह बात राज्यपाल ने दो दिन पहले ग्वालियर के एक कार्यक्रम के दौरान कही थी।
असल में पीडीपी ने कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के समर्थन से सरकार बनाने का दावा किया था जिसके बाद नाटकीय घटनाक्रम में राज्यपाल ने राज्य विधानसभा को भंग कर दिया। इसी दौरान पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने भाजपा और पीडीपी के बागी विधायकों के सहयोग से सरकार बनाने के दावा कर दिया था।
बाद में दी सफाई
राज्यपाल मलिक ने अपने इस बयान पर विवाद मचने से पहले ही सफाई भी दे डाली। उन्होंने कहा कि लोन की सरकार बनवाने के लिए उन पर दिल्ली से न कोई दबाव नहीं था और न ही कोई दखल।
पीडीपी ने राज्यपाल को भेजा था फैक्स
पीडीपी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि उनकी पार्टी ने 56 विधायकों के समर्थन वाला फैक्स राजभवन में भेजा था लेकिन वह पहुंचा नहीं। इस पर फारूख अब्दुल्ला ने कहा, 'यह पहली बार है कि राज्यपाल कार्यालय की फैक्स मशीन ने काम नहीं किया और यह लोकतंत्र की हत्या का कारण बना।'
खरीद फरोख्त की जताई थी आशंका
राज्यपाल ने तब कहा था कि मैंने सदन को भंग करने का फैसला लिया क्योंकि इन पार्टियों के विधायक खरीद-फरोख्त में लिप्त थे। 15-20 दिनों से विधायकों की खरीद-फरोख्त की खबरें सुन रहा था। मुझे खरीद-फरोख्त, विधायकों को धमकाने की रिपोर्ट मिल हो रही थी। अगर मैं किसी को भी सरकार बनाने का अवसर देता तो खरीद-फरोख्त को बढ़ावा मिलता और राज्य की पूरी राजनीतिक, न्यायिक प्रणाली बर्बाद हो जाती।