कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर कहा है कि एनपीआर एक तरह से एनआरसी का ही रूप है। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हम भारत के संविधान को बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। साथ ही चिदंबरम ने सभी विरोध कर रहे पार्टियों को एक मंच पर आने का आवाहन किया।
बता दें कि पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में सीएए-एनपीआर-एनआरसी के प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने के लिए पी. चिदंबरम कोलकाता आये थे। यहां उन्होंने पार्क सर्कस मैदान में सिटीजनशीप अमेंडमेंट एक्ट (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) के विरोध में हो रहे प्रदर्शन का समर्थन किया।
वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियां सीएए और एनआरसी का विरोध कर रही हैं। उनका मानना है कि ये कानून असंवैधानिक और मानवीय हित में नहीं है। चिदंबरम के प्रदर्शन स्थल पर पहुंचते ही प्रदर्शनकारियों ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के विरोध में नारे लगाए।
‘हम सविधान की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं’
इसके बाद एक प्रेस कांफ्रेंस में चिदंबरम ने कहा कि एनआरसी पर सभी पार्टियों को एक हो जाना चाहिए। मैं चाहता हूं कि सभी विपक्षी दल इस मुद्दे की गंभीरता को समझें और एक मंच पर साथ आएं। हम भारत के संविधान की रक्षा करने के लिए लड़ रहे हैं। चिदंबरम ने आरोप लगाया कि भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार असम में एनआरसी की विफलता के बाद ‘गियर’ बदलते हुए पूरे देश में एनपीआर की बात कर रही है। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि मुझे गर्व है कि छात्र संवैधानिक अखंडता और संवैधानिक नैतिकता के लिए लड़ रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्य के पार्टी नेता बंगाल के सभी हिस्सों में अभियान को आगे बढ़ाएंगे और लोगों को सीएए के भयावह उद्देश्य, एनपीआर के पीछे की षडयंत्र और सीएए के खिलाफ सार्वजनिक राय जुटाएंगे।
‘एनएसए अधिसूचना है दमनकारी’
दिल्ली पुलिस कमिश्नर को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत लोगों को हिरासत में रखने के लिए दी गई शक्तियों को पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ‘दमनकारी’ बताया है। बता दें कि 10 जनवरी को दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल द्वारा एक अधिसूचना जारी की है, जिसमें तीन महीने के लिए दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत शक के आधार पर लोगों को हिरासत में लेने की शक्ति दी गई है।
अब सिर्फ दिल्ली में नहीं है ‘शाहीन बाग’
करीब एक महीने से दिल्ली स्थित शाहीन बाग में सीएए और एनआरसी का हो रहे विरोध प्रदर्शन की तरह ही कोलकाता के पार्क सर्कस में बड़े पैमाने पर मुस्लिम महिलाएं पिछले 12 दिनों से धरने पर बैठी हुई हैं। इसके अलावा हैदराबाद, मुंबई, प्रयागराज और इंदौर जैसे देश के दूसरे हिस्सों में भी प्रदर्शन हो रहा है। आर्थिक राजधानी मुंबई के कई हिस्सों में इस कानून का विरोध जारी है। वहीं, यूपी के प्रयागराज के रोशन बाग में पिछले लगभग एक सप्ताह से महिलाएं प्रदर्शन कर रहीं हैं।
यूपी में प्रदर्शनकारियों पर ‘दमन’ को लेकर धरना
सीएए और एनआरसी के अलावा बीते साल दिसंबर महीने में उत्तर प्रदेश में हुए हिंसक प्रदर्शन जिसमें 19 लोगों की मौत हुई थी, के खिलाफ भी प्रदर्शनकारी विरोध कर रहे हैं। करीब 60 मुस्लिम महिलाएं अनिश्चितकालीन प्रदर्शन करने का संकल्प लेकर बैठी हुई हैं। इनका कहना है कि सीएए और एनआरसी को लेकर जब तक अनुकूल न्याय नहीं आ जाता तब तक प्रदर्शन चलता रहेगा।
बैठक में नहीं लिया हिस्सा
वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गृह मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लिया। इससे पहले सोमवार को दिल्ली में हुई विपक्षी पार्टियों की बैठक से भी पश्चिम बंगाल सीएम ने किनारा कर लिया था। देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच साक्षा रणनीति बनाने को लेकर कांग्रेस ने समान विचारधारा वाली सभी पार्टियों की बैठक बुलाई थी।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    