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दिल्ली विधानसभा में मणिपुर पर चर्चा की संभावना, 'आप' ने कहा- "भाजपा ज़िम्मेदारियों से भाग नहीं सकती"

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की विधानसभा में आज मणिपुर के चर्चित जातीय हिंसा मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।...
दिल्ली विधानसभा में मणिपुर पर चर्चा की संभावना, 'आप' ने कहा-

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की विधानसभा में आज मणिपुर के चर्चित जातीय हिंसा मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। गौरतलब है कि लोकसभा और राज्यसभा के मॉनसून सत्र में यह मामला सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रहा था। बहरहाल दिल्ली विधानसभा में मणिपुर पर संभावित चर्चा को लेकर आप सरकार के मंत्री गोपाल राय ने भाजपा को आड़े हाथों लिया है।

आम आदमी पार्टी की सरकार में मंत्री गोपाल राय ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा, "मणिपुर मुद्दे पर भाजपा पहले दिन से भाग रही है। तीन महीने हो गए, तीन महीने से भाजपा मणिपुर मुद्दे पर भाग रही है। वहां अभी भी स्थिति सामान्य नहीं हो सकी है।"

उन्होंने लोकसभा में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव और पीएम मोदी पर कहा, "लोकसभा में जब अविश्वास प्रस्ताव लाकर माननीय प्रधानमंत्री जी को मजबूर कर दिया गया, तब जाकर दो घंटे के भाषण में दो मिनट के लिए उनकी ज़ुबान मणिपुर के लिए खुली।"

गोपाल राय ने कहा, "पूरे देश में इसे लेकर गुस्सा है कि आखिर डबल इंजन सरकार होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने मणिपुर में लोगों को मरने और कटने के लिए क्यों छोड़ दिया। भाजपा (दिल्ली विधानसभा में मणिपुर पर चर्चा) इसका विरोध करेगी।"

"भाजपा इसलिए विरोध करेगी क्योंकि उनके पास बोलने के लिए कुछ है ही नहीं। उनके प्रधानमंत्री ही नहीं बोल पा रहे थे। अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया होता तो शायद वो बात ही नहीं करते। भाजपा को पुनर्विचार करना चाहिए। वह इस तरह से अपनी ज़िम्मेदारियों से भाग नहीं सकते।"

माना जा रहा है कि दिल्ली विधानसभा में आज सदन में मणिपुर मुद्दे पर चर्चा होगी। विधायक दुर्गेश पाठक, विनय मिश्रा और कुलदीप कुमार मणिपुर में अशांति और वहां के लोगों पर हो रहे अत्याचार के मुद्दे पर चर्चा की शुरुआत करेंगे।

बता दें कि लोकसभा और राज्यसभा में भी मणिपुर के मुद्दे पर काफी बहसबाजी हुई थी। पीएम मोदी से लगातार बयान की मांग कर रहा विपक्ष अंत में लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया, जिसे स्वीकार किए जाने के बाद सदन में इस मामले पर चर्चा हुई। पीएम मोदी के जवाबी संबोधन के दौरान विपक्षी सांसदों के वॉकआउट के बाद यह प्रस्ताव ध्वनिमत से गिर गया।

विदित हो कि तीन मई को मणिपुर में मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किया गया था। इस दौरान जातीय संघर्ष भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोगों की जान चली गई और कई सौ घायल हो गए।

मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। आदिवासी - नागा और कुकी - 40 प्रतिशत से कुछ अधिक हैं और पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

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