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सीएए के विरोध में पुडुचेरी विधानसभा में प्रस्ताव पास, ऐसा करने वाला पहला केंद्र शासित प्रदेश

पुडुचेरी विधानसभा ने बुधवार को सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (सीएए) के विरोध में प्रस्ताव पास कर दिया है।...
सीएए के विरोध में पुडुचेरी विधानसभा में प्रस्ताव पास, ऐसा करने वाला पहला केंद्र शासित प्रदेश

पुडुचेरी विधानसभा ने बुधवार को सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (सीएए) के विरोध में प्रस्ताव पास कर दिया है। इस कानून के विरोध में प्रस्ताव पास करने वाला पुडुचेरी पहला केंद्र शासित प्रदेश बन गया है। इससे पहले पश्चिम बंगला, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब और केरल राज्यों की विधानसभा सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पास कर चुकी है। बता दें कि बीते 2 फरवरी को पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने कहा था कि सीएए के विरोध में 12 फरवरी को विधानसभा में प्रस्ताव लाया जाएगा। इसके साथ ही राज्य सरकार की तरफ से सीएए, नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनसीआर) और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के विरोध में व्यापक स्तर पर हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की गई है। 

विधानसभा का किया बहिष्कार

इससे पहले राज्य सरकार की तरफ से इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी के तीन विधायकों ने विधानसभा से वॉक आउट करके विरोध जताया।

सीएए पर पीएम बोले

28 जनवरी को नेशनल कैडेट कोर (एऩसीसी) रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इस कानून से किसी भी भारतीय का कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा था कि जो लोग सीएए पर डर फैला रहे हैं वे पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न को देखने से इन्कार कर रहे हैं। क्या हमें सताए हुए लोगों की मदद नहीं करनी चाहिए? हमारी सरकार ऐतिहासिक गलती को सुधारने और पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के साथ किए गए पुराने वादे को पूरा करने के लिए सीएए लेकर आई है।

देशभर में हो रहा है विरोध

संसद से बीते साल दिसंबर में सीएए के पारित होने के बाद देश के कई हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन हो रहा है। इसकी शुरुआत पूर्वोत्तर भारत से हुई। ख़ास तौर से असम में इसे लेकर बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हुए। इसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, दिल्ली की जेएनयू और जामिया मिल्लिया इस्लामिया में भी प्रदर्शन हो रहे है।

बता दें कि सीएए 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़ित भारत में आने वाले हिंदुओं, सिखों, जैनियों, पारसियों, बौद्धों और ईसाइयों को नागरिकता प्रदान करता है। 

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