केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को राहुल गांधी पर ‘‘आयातित टूलकिट’’ का इस्तेमाल कर झूठ फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कांग्रेस नेता के इस दावे की निंदा की कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदायों के योग्य उम्मीदवारों को जानबूझकर ‘‘सफल टूलकिट’’ शिक्षा और नेतृत्व के आधार पर तैयार किया जा रहा है।
प्रधान ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी देश में "झूठ और धोखे के सबसे बड़े ब्रांड एंबेसडर" बन गए हैं और यह कांग्रेस का नेहरू-गांधी परिवार है जिसने हमेशा एससी, एसटी और ओबीसी आबादी को धोखा दिया है, लेकिन "राजकुमार" अपने "शाही परिवार के इतिहास" से अनजान हैं।
उन्होंने कहा, "यही कारण है कि कांग्रेस नियमित रूप से आयातित टूलकिट पर आधारित झूठ के अपने पुलिंदे के साथ सामने आती है।" उन्होंने 2014 से भाजपा सरकार के दौरान इन समुदायों के सफल आवेदकों की तुलना 2004-14 के बीच कांग्रेस के शासन के आंकड़ों से की। इससे पहले मंगलवार को राहुल गांधी ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के छात्रों के साथ अपनी हालिया बातचीत का एक वीडियो साझा किया था।
लोकसभा में विपक्ष के नेता ने हिंदी में लिखे अपने पोस्ट में कहा, "'उपयुक्त नहीं पाया जाना' अब नया मनुवाद है। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के योग्य उम्मीदवारों को जानबूझकर 'अनुपयुक्त' घोषित किया जा रहा है ताकि उन्हें शिक्षा और नेतृत्व से दूर रखा जा सके।"
प्रधान ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्तियों के आंकड़ों के साथ राहुल गांधी के दावे का खंडन किया। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में राह गांधी का स्पष्ट संदर्भ देते हुए कहा, "कांग्रेस राजपरिवार ने हमेशा एससी, एसटी और ओबीसी को धोखा दिया है, लेकिन राजकुमार को वंचितों और दलित विरोधी अपने परिवार के इतिहास का पता नहीं है। यही कारण है कि कांग्रेस हर दिन एक आयातित टूलकिट के आधार पर राजकुमार के लिए झूठ का पुलिंदा पेश करती है।"
उन्होंने कहा, "लंबे समय तक शासन करने के बाद भी कांग्रेस ने दलितों, पिछड़ों और शोषितों को उनके अधिकारों से वंचित रखा। जब 2014 में यूपीए सरकार गई, तब केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 57 प्रतिशत एससी, 63 प्रतिशत एसटी और 60 प्रतिशत ओबीसी शिक्षकों के पद खाली थे।"
प्रधान ने बताया कि 2004-14 के कांग्रेस कार्यकाल के दौरान आईआईटी में केवल 83 एससी, 14 एसटी और 166 ओबीसी फैकल्टी थीं, जबकि एनआईटी में केवल 261 एससी, 72 एसटी और 334 नियुक्तियां की गईं। ".....2014-24 के मोदी सरकार के कार्यकाल में IIT में 398 SC, 99 ST और 746 OBC शिक्षकों की नियुक्ति की गई तथा NIT में 929 SC, 265 ST और 1510 OBC शिक्षकों की नियुक्ति की गई। प्रोफेसर के लिए PhD असिस्टेंट की अनिवार्यता को मोदी जी की सरकार ने ही ख़त्म किया।
उन्होंने कहा, "राहुल गांधी जिस एनएफएस- 'नॉट फाउंड सूटेबल' की बात कर रहे हैं, वह दलित-विरोधी, शोषित-विरोधी और वंचित-विरोधी कांग्रेस की सोच का परिणाम है, जिसने बाबा साहब के नाम पर राजनीति की।" उन्होंने कहा, ‘‘आजादी के बाद कांग्रेस की नीति के कारण यह एनएफएस अब तक जारी था, जिसके कारण एससी, एसटी और ओबीसी के अधिकारों का हनन हो रहा था।’’