महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने सोमवार को कहा कि जब निजी क्षेत्र में अधिक रोजगार के अवसर सृजित हो रहे हैं, तो सरकारी नौकरियों में जाति-आधारित आरक्षण से कितने लोगों को लाभ होगा। सोलापुर जिले के पंढरपुर शहर में पत्रकारों से बात करते हुए ठाकरे ने कहा कि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसरों में प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
मनसे प्रमुख ने कहा, "मेरा रुख यह है कि स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसरों में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसमें जाति एक कारक क्यों होनी चाहिए? यदि निजी क्षेत्र में रोजगार सृजित होते रहेंगे, तो हमें इस बारे में सोचना चाहिए कि वास्तव में कितने लोगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण से लाभ होगा।" उन्होंने कहा कि सभी समुदायों को यह समझना चाहिए कि उन्हें केवल वोट के लिए मूर्ख बनाया जा रहा है।
ठाकरे की टिप्पणी मराठों द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर किए गए आंदोलन की पृष्ठभूमि में आई है। ठाकरे ने कहा, "अन्य राज्यों के छात्र आसानी से यहां (महाराष्ट्र) शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पा लेते हैं और नौकरी पा लेते हैं। स्थानीय लोगों को नौकरी न मिलने की चुनौतियों के बारे में कोई नहीं बोलता।"
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, जिसने कभी देश का मार्गदर्शन किया था, अब जाति की राजनीति में फंस गया है। ठाकरे ने आगे कहा कि लोकसभा चुनावों में भाजपा को बिना शर्त समर्थन केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया गया था। उन्होंने कहा, "बिना शर्त समर्थन नरेंद्र मोदी को दिया गया था। मैंने राज्य विधानसभा चुनावों के बारे में कभी कोई आश्वासन नहीं दिया।"
भाजपा द्वारा विपक्ष पर इसके बारे में नकारात्मक बातें फैलाने का आरोप लगाने के बारे में पूछे जाने पर ठाकरे ने दावा किया कि अयोध्या सीट से भाजपा के उम्मीदवार ने ही लोकसभा चुनावों से पहले संविधान में बदलाव का उल्लेख किया था। उन्होंने दावा किया, "इसका मतलब है कि भाजपा ने खुद विपक्ष को नकारात्मक बातें बताईं, जिस पर पहले चर्चा भी नहीं हुई।"
मनसे ने आगामी विधानसभा चुनावों में शिवड़ी (मुंबई) और पंढरपुर निर्वाचन क्षेत्रों से क्रमश: पूर्व विधायक बाला नंदगांवकर और दिलीप धोत्रे के नामों की घोषणा की है। कुछ सप्ताह पहले ठाकरे ने सभी 288 विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारने की मंशा जाहिर की थी।