शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र 'सामना' के एक संपादकीय में इस तरह की घटनाओं की आलोचना करते हुए बच्चों की मौत को हत्या का मामला करार दिया गया है। ‘सामना’ में दोनों त्रासदी गोरखपुर स्थित बीआरडी मेडिकल कॉलेज और फर्रुखाबाद डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में मरे बच्चों के गरीब परिवार से होने का हवाला देते हुए शिवसेना ने कहा कि गरीबों के भगवान बनने की बजाय ये सरकारी अस्पताल उनके लिए मौत के भगवान साबित हो रहे हैं।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, शिवसेना ने कहा कि स्वास्थ्य से जुड़ी संकटकालीन स्थिति के बीच सरकार संचालित अस्पताल ही सिर्फ और सिर्फ गरीबों के लिए आश्रय होते हैं। ऐसे में अगर ये अस्पताल ही इस तरह की लापरवाही बरतेंगे तो जरूरतमंद कैसे जीवित रह पाएंगे।
Shiv Sena attacks UP Govt. over deaths of children in Gorakhpur, Farrukhabad
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— ANI Digital (@ani_digital) September 5, 2017
वहीं, ऑक्सीजन की कमी के कारण गोरखपुर में बच्चों की मौत के लिए यूपी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए शिवसेना ने कहा कि इससे बिल्कुल स्पष्ट है कि अस्पताल में सुविधाओं को लेकर सरकार कितनी बेपरवाह है। इसके कारण बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 70 से ज्यादा बच्चों की मौत के बाद फर्रुखाबाद में भी इस तरह की घटना सामने आ गई, जिसमें एक महीने में 49 बच्चों की मौत हो गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, मृतक बच्चों के माता-पिता ने बच्चों की मौत के लिए अस्पताल प्राधिकरण पर आरोप लगाया और दावा किया कि उन्होंने मैजिस्ट्रेट को अस्पताल में ऑक्सीजन और दवाइयों की कमी के बारे में सूचित किया था।
इस त्रासदी के बाद फर्रुखाबाद के राम मनोहर लोहिया राजकुमारी चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई थी।